आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की ग्यारह युवतियों के नि:शुल्क सामूहिक विवाह की सभी तैयारियां उस समय व्यर्थ हो गईं, जब प्रशासन से आयोजन की अनुमति नहीं मिल पाई। यह विवाह कार्यक्रम साईं भक्तों द्वारा आयोजित किया जाना था, जिसे लेकर दूल्हा-दुल्हन बनने वाले युवक-युवतियों और उनके परिवारों में भारी उत्साह था। हालांकि, अब इनकी खुशियों पर असमय विराम लग गया है। आयोजकों का कहना है कि वे कई वर्षों से जरूरतमंद युवतियों का नि:शुल्क विवाह कराते आ रहे हैं और इस वर्ष भी 17 मई को वही परंपरा निभाई जानी थी। विवाह निमंत्रण-पत्र छप चुके थे, दुल्हनों के वस्त्र, आभूषण और घरेलू उपयोग की सभी आवश्यक सामग्री की व्यवस्था भी पूरी कर ली गई थी।
सभी प्रयास विफल, प्रशासन अडिग अपने फैसले पर
आयोजकों ने एसीपी को अवगत कराया कि विवाह समारोह केवल दिन में आयोजित होना था—सुबह से प्रारंभ होकर दोपहर में बारात निकाली जाती और शाम तक विदाई संपन्न हो जाती। यह कोई रात्रिकालीन आयोजन नहीं था, जिससे शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन ने अनुमति देने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। आयोजकों ने बार-बार अनुरोध किए, परंतु अनुमति न मिलने से वे अत्यंत निराश और स्तब्ध रह गए।

सीमा पर हालात सख्त, प्रशासन की हरी झंडी नहीं मिली
मीडिया में समाचार प्रकाशित होने के बाद आयोजकों को जानकारी मिली कि भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते प्रशासन ने सभी आयोजनों के लिए अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। यह जानकर साईं श्रद्धा समिति से जुड़े अनिल परिहार, नीलेश राठौर और दीपू मिश्रा अनुमति के लिए एरोड्रम पुलिस थाने पहुंचे। वहां अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि अनुमति देने का अधिकार उनके पास नहीं है और उन्हें एसीपी कार्यालय जाने को कहा। जब आयोजक एसीपी कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें जिला प्रशासन के निर्देशों का हवाला देते हुए अनुमति देने से साफ इंकार कर दिया गया। परिणामस्वरूप, विवाह आयोजन अनिश्चितता में पड़ गया।
खुशियों पर लगा विराम, परिजन बोले—’जिम्मेदार पाकिस्तान’
अंततः आयोजकों को सामूहिक विवाह कार्यक्रम रद्द करने का कठिन निर्णय लेना पड़ा। इससे न केवल विवाह की तैयारियों में जुटी युवतियों के सपने चकनाचूर हो गए, बल्कि वर-वधू पक्ष के परिजनों की भी सभी उम्मीदें अधूरी रह गईं। साईं श्रद्धालुओं और परिजनों ने इस असमाप्त आयोजन के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना रोष व्यक्त किया। आयोजकों ने बताया कि यह उनका पांचवां सामूहिक विवाह आयोजन था, जिसके माध्यम से अब तक 44 युवतियों का सफलतापूर्वक विवाह कराया जा चुका है। लेकिन इस बार कार्यक्रम न हो पाने से वे बेहद दुखी और निराश हैं।