इंदौर : राजेश राठौर। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान पर उप चुनाव में जीत की जिम्मेदारी तो है ही, उन्हें ये भी देखना होगा कि उनकी पार्टी के लोग पाला बदलकर आए सिंधिया समर्थकों के लिए कोई मुसीबत न खड़ी करें। वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 समर्थक उम्मीदवारों की सीट पर भाजपा हाईकमान निगाह रखेगा कि कार्यकर्ता वास्तव में काम कर रहे हैं या नहीं। सिंधिया को शंका है कि ग्वालियर, चंबल इलाके में भाजपाई दगा दे सकते हैं। सिंधिया ने पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात की तो नड्डा ने प्रदेश के बाकी नेताओं को टटोला। उसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर को सिंधिया के साथ जवाबदारी दी। तोमर नाराज नेता और कार्यकर्ताओं से बात कर रहे हैं।
बकायदा प्रदेश भाजपा ने नाराज नेता और कार्यकर्ताओं की सूची बनाना शुरू कर दी। उसके आधार पर उनके काम पर निगाह रखी जा रही है। भाजपा हाईकमान का दावा है कि सिंधिया समर्थक कम जीते तो उसकी जवाबदारी अकेले सिंधिया की नहीं होगी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा, संगठन मंत्री सुहास भगत और प्रभारी बनाए गए मंत्रियों की रहेगी। सिंधिया ने संघ नेताओं से भी बात करके स्वयंसेवकों की भी मदद लेने का भरोसा ले लिया है। सिंधिया खुद इस बात से वाकिफ हैं कि उनके समर्थक यदि हारते हैं तो भाजपा के नेता ये कहेंगे कि सिंधिया का वजूद खत्म हो गया है। इसी आधार पर ही सिंधिया का भाजपा का राजनीतिक कद तय होगा। राज्यसभा सांसद तो सिंधिया बन गए, लेकिन अभी उनको केंद्रीय मंत्री बनना बाकी है। अब उपचुनाव के बाद ही सिंधिया के मंत्री बनने की संभावना है। चुनाव परिणाम के आधार पर तय होगा कि सिंधिया कैबिनेट मंत्री होंगे या राज्यमंत्री।