पाकिस्तान से आयी श्रवण बाधित गीता का घर ढूढने के लिए इंदौर पुलिस के प्रयास तेज

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इंदौर। पुलिस अधीक्षक मुख्यालय सूरज वर्मा एवं अति पुलिस अधीक्षक मुख्यालय मनीषा पाठक सोनी के द्वारा श्रवण बाधित गीता के साथ संवाद किया गया।

इस अवसर पर गीता की सहायता के लिए आनंद सर्विस सोसायटी मूक बधिर केंद्र के ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित उपस्थित थे यह संवाद लगभग 4 घंटे चला।

गीता ने बताया कि उसके गांव के पास एक छोटा रेलवे स्टेशन है। गांव में देवी जी का मंदिर है जिसके पास नदी या तालाब है जिसमे डुबकी लगाकर दर्शन के लिए जाते है। मंदिर पहाड़ के ऊपर नहीं है । गीता यह भी बताती है कि इसके घर के पास एक मैटरनिटी होम है। गीता के परिवार वाले धान की खेती करते है। गीता ने बताया कि वह भाप वाले इंजन की रेलगाड़ी में घर से गलती से बैठ गयी थी और ट्रेन चल दी , फिर ट्रैन में डीजल इंजन लगा इसके बाद ट्रेन बदलने से वह पाकिस्तान पहुंच गई। गीता बताती है कि उसके घर मे बचपन मे इडली सांभर और डोसा बनता था।

ज्ञानेंद्र व मोनिका पुरोहित ने बताया कि गीता ने स्वयं से एक दिन नीम की पत्तियों को घर मे हर जगह टाँगा। गीता बताती है कि बचपन मे जहां रहती थी वहां रेलवे स्टेशन पर दो ही भाषा मे नाम लिखे जाते है जो कि देवनागरी लिपि और अंग्रेजी है। गीता की इस बात पर दक्षिणी महाराष्ट्र, दक्षिणी छत्तीसगढ़,उत्तरी तेलंगाना, उत्तरी आंध्र प्रदेश पश्चिमी ओडिशा और दक्षिण पश्चिम झारखंड के होने के संकेत लगते है। गीता की दायीं नाक छिदी है इससे ऐसा लगता है जो की उत्तर और दक्षिण को जोडने वाले सीमावर्ती राज्य हो सकते है। इसे नारियल पानी पसंद है। ये बताती है कि इसने दक्षिण भारत मे छोटी बच्चों को पहनाए जाने वाले पोशाक पट्टू (लहंगा चोली) पहनी है। गीता ने रांची झारखंड के एक फोटो को पहचान की है।

सूरज वर्मा ने इस स्थान के आसपास की फोटोज और वीडियो दिखाने के लिए बुलाये है। गीता को विभिन्न राज्यो के पकवानों के फोटो भी दिखाई गए। इसने लिट्टी चोखा और छठ पूजा के चित्रों को दिखाए जाने पर नही पहचाना। ये दक्षिणी स्टाइल से चावल खाती है I इसके पैर में ये बचपन से काला धागा बांधती है। पिता पूजा के समय धोती /लुंगी पहनते है। गीता को तरह तरह के स्थानों के फोटो दिखाए गए। अब अगले क्रम में वीडियो कॉल से अलग अलग तरह के लोगो से गीता को बात कराई जाएगी।