नई दिल्ली: भारत में कोरोना की स्थिति भयावह होती जा रही है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना पर लगाम नहीं लग पाई है। इसी बीच सरकार ने कहा कि देश में कोरोना संक्रमण के मामले एक अरब के करीब पहुंच सकते है। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी के पॉल देश में कोरोना वायरस की स्थिति पर प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ये चेतावनी दी।
डॉक्टर पॉल ने कहा कि लोगों को अब मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। उन्होंने कहा, ‘देश में लगभग 80-85 फीसदी लोग ऐसे हैं जो आसानी से कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं। देश में Covid-19 के मामले बढ़ रहे हैं और वायरस तेजी से फैल रहा है।’
डॉक्टर पॉल ने कहा, ‘वायरस के पीछे का विज्ञान ऐसा है कि यह एक व्यक्ति से पांच व्यक्तियों में और पांच व्यक्तियों से पचास लोगों में फैल जाएगा।’ उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच भी फिलहाल देश में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। कोई भी वायरस को रोक नहीं सकता है लेकिन हम निश्चित रूप से कुछ नियमों का पालन कर इस पर नियंत्रण पा सकते हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग से इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है।’
वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 80-85 फीसदी भारतीय अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं और बाकी के 15 फीसदी लोग या तो पहले से ही कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं या फिर उनमें वायरस से लड़ने के लिए अच्छी इम्यूनिटी है। ICMR के राष्ट्रीय सेरोलॉजिकल सर्वे के नतीजों के अनुसार, अधिकांश आबादी संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील है, इसलिए संक्रमण को रोकने के लिए भारत को आवश्यक रूप से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति बनानी होगी।
ICMR का कहना है कि बार-बार जनसंख्या आधारित सेरो सर्वेक्षण करने से ये पता लगाने में आसानी होती है कि महामारी के प्रति हमारी रणनीति किस दिशा में जा रही है और हम इसका सही मूल्यांकन कर सकते हैं। सेरो सर्वे 80 से अधिक जिलों में लगभग 28 हजार लोगों पर किया गया था।