Amalki Ekadashi : आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष (Falgun Shukla Paksha) की एकादशी (Ekadashi) है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) कहा जाता है। इतना ही नहीं इसे रंगभरनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का काफी महत्व बताया गया है। इस एकादशी को लेकर ज्योतिषों द्वारा बताया गया है कि भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। दरअसल, भगवान विष्णु को आंवले का पेड़ बेहद प्रिय है।
इन देवताओं का होता है वास –
कहा जाता है कि इस पेड़ में श्री हरि व माता लक्ष्मी का वास होता है। दरअसल, इसके मूल में यानि की जड़ में विष्णु तने में शिव और ऊपर के हिस्से में ब्रहमा का का वास है। इतना ही नहीं इसकी शाखाओं में मुनि, देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण वास करते हैं।
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आपको बता दे, आज इस एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठ कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस पूजा के बाद आंवले का उबटन करने साथ ही आंवले को भोज्य के रूप में लेने से और इसका दान करने से काफी लाभ मिलता है। इसका काफी महत्व भी बताया गया है।
पूजा विधि –
इस एकादशी का व्रत एक रात पहले से ही किया जाता है। आमलकी एकादर्शी की पूर्व रात्रि विष्णु को ध्यान करके सोना चाहिए। उसके बाद अगले दिन प्रातः जल्दी उठ कर सभी काम पूर्ण करना चाहिए। फिर पूजा-स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फिर मूर्ति करना चाहिए। ऐसे में प्रतिमा के सामने हाथ में तिल, कुश, सिक्का और जल लेकर संकल्प करना होगा।
संकल्प – मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आज आमलकी एकादशी का व्रत रख रहा हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो, इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें।