नीरज राठौर की कलम से
हिमालय पर्वत श्रंखला की धौलाधार पर्वत श्रृंखला में स्थित त्रिउंड ट्रेक(Triund Trek) एक पहाड़ की चोटी पर स्थित अल्पाइन घास का विशाल लम्बा मैदान है। त्रिउंड से एक तरफ धौलाधार पर्वत श्रृंखला और दूसरी तरफ कांगड़ा घाटी के अद्भुत एवं शानदार दृश्य दिखाई देते है। समुद्रतल से लगभग 2950 मीटर (9550फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित त्रिउंड के ट्रेक को हिमालय के सबसे आसान ट्रेक में से एक माना जाता है।
एक आसान ट्रेक होने की वजह से त्रिउंड ट्रेक ने बहुत कम समय मे बहुत लोकप्रियता हासिल की है। मेरी नजर में यदि आप इस ट्रेक को विंटर में कर रहे हो तो ये आसान नहीं है, यदि आप समर में कर रहे है तो आसान हो सकता है।
अगर आपको ट्रैकिंग करना पसंद है और अभी तक आपने पहाड़ो पर एक भी ट्रेक पूरा नहीं किया है तो आप अपनी ट्रेकिंग की शुरुआत त्रिउंड के ट्रेक सेकर सकते है। त्रिउंड ट्रेक की सबसे अच्छी बात यह है कि आप इस ट्रैक को एक ही बार में पूरा कर सकते है। जाना और आना दोनों मिलकर 7 घंटे में वापसी हो जाती है ।
त्रिउंड ट्रेक का अधिकतम रास्ता आसान है, बाद में आखरी की 1 किलोमीटर की चढ़ाई कठिन है,पूरे ट्रेक के दौरान आप ओक, पाइन और देवदार के विशाल और घने जंगलों में से गुजरते है, घने जंगलों के अलावा आपको रास्ते मे धौलाधार पर्वत श्रृंखला और कांगड़ा घाटी के अविस्मरणीय दृश्य भी दिखाई देते है। वैसे तो त्रिउंड ट्रेक शुरुआती ट्रेकर्स के लिए उपयुक्त माना जाता है, लेकिन त्रिउंड ट्रेक एक अनुभवी ट्रैकर को भी निराश नहीं करता है। अनुभवी ट्रेकर को विंटर में आना चाहिए ताकि विंटर की कठिनाइयों का सामना कर सके ।
ज्यादातर अनुभवी ट्रैकर त्रिउंड ट्रेक पूरा करने के बाद लाहेश गुफा जो की समुद्रतल से 3500 मीटर (11482फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है, और इन्द्र हार पास जो की समुद्रतल से 4342मीटर (14245फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है तक जाना पसंद करते है। इसके अलावा कुछ अनुभवी ट्रैकर त्रिउंड ट्रेक के बाद लाका ग्लेशियर तक भी ट्रेक करना पसंद करते है। लाका ग्लेशियर की समुद्रतल से ऊंचाई 2895 मीटर (9500फ़ीट) है। ये आप पर निर्भर करता है की आप किस दिशा में जा रहे है।
त्रिउंड से लाहेश गुफा की दूरी लगभग 6 किलोमीटर के आसपास है। और उसके बाद अगर आप लाहेश गुफा से इन्द्रहार पास तक जाते है तो आपको 8-9 किलोमीटर तक और ट्रेक करना पड़ेगा।एक अनुभवी ट्रैकर त्रिउंड ट्रेक एक दिन में बड़ी आसानी से पूरा कर सकता है,लेकिन अगर आप त्रिउंड ट्रेक पूरा करने के बाद त्रिउंड टॉप पर कैंपिंग करना चाहते है तो आपको यहाँ पर लगभग 24 घंटे लग सकते है। केम्पिंग में 1 रात से ज्यादा रुकने की सलाह नहीं दी जाती है ।
रात के समय त्रिउंड टॉप की पहाड़ी से कांगड़ा घाटी के बेहद सुंदर दृश्य दिखाई देते है इसके अलावा अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो आपको यहाँ से मिल्की वे भी दिखाई दे सकता है। इसका अर्थ है रात्रि में तारे, गेलेक्सी एवं मिल्की-वे को निहारना। मैक्लोडगंज, धर्मशाला और धर्म कोट में बहुत सारी एडवेंचर एजेंसीज त्रिउंड ट्रेक पूरा करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाते है। यहाँ कई कंपनिया सुविधाए देते है ।
मैक्लोड गंज और इसके आसपास स्थित लगभग सभी एजेंसी 1000/- रुपये सेलेकर 1500 तक प्रति व्यक्ति के हिसाब से त्रिउंड ट्रेक का पूरा पैकेज देते है ( इस पैकज में कैंपिंग टेंट, रात का खाना और सुबह का नाश्ता शामिल होता है) ।
त्रिउंड के टॉप तक कैसे पहुँचे?
त्रिउंड तक पहुंचने के दो रास्ते ट्रेकर्स के द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जाते है, पहला रास्ता मैक्लोडगंज में भाग सूनाग मंदिर और भाग सूनाग वॉटर फॉल होते हुए जाता है। अगर आप भाग सूनाग वॉटरफॉल होते हुए त्रिउंड जाना चाहते है तो आपको त्रिउंड तक लगभग 09 किलोमीटर तक ट्रेक करना होगा। उसके अलावा दूसरा रास्ता मैक्लोडगंज से 02 किलोमीटर दूर स्थित धर्मको टसे शुरू होता है । इस रस्ते में कम दुरी तय करना पड़ती है ।
धर्मकोट से त्रिउंड जाने वाले सभी ट्रैकर गलुदेवी के मंदिर होते हुए त्रिउंड की यात्रा करते है।धर्मकोट से त्रिउंड को दूरी मात्र 07 किलोमीटर है। अधिकांश ट्रैकर मैक्लोडगंज से ही अपनी त्रिउंड की यात्रा शुरू करना पसंद करते है।मेरी राय है की पहले धरमकोट आना चाहिए वहा से पैदल गल्लू के मंदिर तक आकर ट्रेक सुबह शुरू कर देना चाहिए ।
त्रिउंड ट्रेक में कठिनाई का स्तर यानी ये कितना कठिन है और कितना सरल ? – त्रिउंड ट्रेक हिमालय के सबसे आसान ट्रेक में से एक माना जाता है। लेकिन विंटर में कठिन है ।
त्रिउंड ट्रेक की कुल अवधि–
अगर आप सुबह जल्दी धर्मकोट या फिर मैक्लोडगंज से अपनी त्रिउंड की यात्रा शुरू करते है तो आप दोपहर तक त्रिउंड बड़ी आसानी से पहुँच सकते है और उसके बाद कुछ समय त्रिउंड के शिखर पर रुककर आप उसी दिन वापस धर्मकोट या मैक्लोडगंज पहुँच सकते है। अगर आपको कैंपिंग का शौक है तो फिर आप दोपहर से पहले त्रिउंड की अपनी यात्रा शुरू करें तो आप शाम से पहले त्रिउंड के शिखर तक पहुँच सकते है। इसके बाद कैंप में रात्रि विश्राम करना चाहिए ।
शाम को त्रिउंड पहुँच कर आप पूरी रात त्रिउंड के शिखर पर कैंपिंग का आनन्द ले सकते है और उसके बाद अगले दिन नाश्ता करने के बाद आप त्रिउंड से वापस मैक्लोडगंज या धर्मकोट की यात्रा शुरू कर सकते है। यदि रात्रि में वहा रुका हो तो में शिखर पर जल्दी पहुँचने की सलाह नहीं दूंगा ।
आप त्रिउंड का ट्रेक मैक्लोडगंज और धर्मकोट दोनों ही जगह से शुरू कर सकते है।मैक्लोडगंज से त्रिउंड की दूरी लगभग 09 किलोमीटर है, और धर्मकोट से त्रिउंड की दूरी 07 किलोमीटर है।जितने भी ट्रैकर मैक्लोडगंज से अपनी त्रिउंड की यात्रा शुरू करते है उनके लिए सबसे पहला चेक पॉइंट भाग सूनाग वाटर फॉल आता है।मेने ये रास्ता नहीं चुना, मेने धरमकोट आकर गल्लू मंदिर सुबह 10 बजे पहुंचकर ट्रेक स्टार्ट किया ।
हांलाकि मेरी तरह जो ट्रैकर धर्मकोट से अपनी त्रिउंड की यात्रा शुरू करते है उनका सबसे पहला चेक पॉइंट गलुदेवी मंदिर आता है।अगर आप कम समय मे त्रिउंड ट्रेक पूरा करना चाहते है तो आप मैक्लोडगंज से टैक्सी के द्वारा धर्मकोट तक जा सकते है। जो की मेने किया इसके बाद मेने धरमकोट में होस्टल बुक किया जहा से गल्लू के मंदिर की चढाई शुरू होती है ।
त्रिउंड ट्रेक के लिए सबसे बेस्ट टाइम-
त्रिउंड ट्रेक के लिए सबसे अच्छा टाइम मार्च से लेकर दिसंबर तक माना जाता है।मानसून के मौसम के दौरान यहाँ पर ट्रैकिंग नहीं करना चाहिए पूरा रास्ता काफी फिसलन भरा हो जाता है।इसके अलावा जनवरी और फरवरी के महीनों में भी त्रिउंड ट्रेक नहीं करना चाहिए इस समय त्रिउंड पर बहुत भारी बर्फबारी होती है। मेरे द्वारा फ़रवरी में ट्रेक किया गया, जिस वजह से ट्रेक कठिन बन गया । फ़रवरी में ट्रेक का नुक्सान है बरफ में फिसलने का खतरा । मेरे आगे चल रहे 2 ट्रेकर में से एक बर्फ में फिसलकर मरते मरते बचा, उसकी गलती थी बिना गाइड एवं सुरक्षा जूतों के वो ट्रेक कर रहा था । मेरे साथ 800 रूपये रोज के कुशल गाइड थे, जिन्हें ट्रेकिंग का 25 सालो का अनुभव था ।
त्रिउंड तापमान –
गर्मियों के मौसम में त्रिउंड का तापमान दिन मे 22-30 डिग्री के आसपास रहता है और रात का तापमान औसतन 8-10 डिग्री के आसपास हो जाता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ पर तापमान बहुत कम हो जाता है और साथ के ही भारी बर्फबारी की संभावना भी बढ़ जाती है इसलिए सर्दियों के मौसम में त्रिउंड की यात्रा शुरू करने से पहले आपको यहाँ के मौसम के बारे में पता कर लेना चाहिए। क्यूँकी भारी बर्फबारी की वजह से कई बार त्रिउंड जाने वाला रास्ता बंद हो जाता है। सर्दी में दिन का तापमान 15 एवं रात्रि का 5 से 7 रहता है ।
ट्रेक की ऊँचाई–
त्रिउंड की समुद्र तल से ऊँचाई 2850 मीटर (9350फ़ीट) है। ये कोई बहुत ज्यादा ऊंचाई नहीं है मगर इतना चड़ना आसान नहीं है ।
साथ में क्या रखे-
- सर्दियों में गर्म कपड़े जरूर साथ मे रखें।
- गर्मियों में रात के समय त्रिउंड पर ठंड हो जाती है।
- गर्मियों में कुछ वार्मर्स और एक छोटा और हल्का बैग जरूर साथ लेकर जाएं।
- ट्रेक के दौरान खाने-पीने के लिए कुछ स्नैक्स, नाश्ता, भोजन और पानी की बोतल जरूर साथ मे रखें। (त्रिउंड ट्रेक के रास्ते मे कुछ कैफ़े आते है लेकिन ऊँचाई पर स्थित होने की वजह से यह कैफ़े थोड़े महँगे होते है।) यहाँ पानी की बोतल 40 रूपये की, एक चाय 40 रूपये की, एक मेगी 80 रूपये की हो जाति है ।
- अगर आपको त्रिउंड में रात के समय कैंपिं गकरना है तो आप टेंट जरूर साथ में लेकर जाये। अगर आप टेंट ऊपर तक लेकर जाने में सहज नहीं तो आप किसी भी एडवेंचर ऐजेंसी से अपने लिए ऊप रटेंट की व्यवस्था कर सकते है।ऐजेंसी वाले आपसे टेंट के लिए एक रात का किराया 500-600 रुपये तक ले सकते है। बेहतर है की टेंट किराये का ले लो ।(स्लीपिंग बैग्स के साथ टेंट का किराया बढ़ सकता है।) इसके अलावा आप अपने त्रिउंड ट्रेक किसी भी एडवेंचर एजेंसी के साथ पूरा कर सकते है।एजेंसी आपसे त्रिउंड ट्रेक के लिए 1000/- रुपये तक चार्ज करती है। (एडवेंचर टूर एजेंसी आपको 1000/- के पैकेज में टेंट, रात का खाना औ रब्रेक फास्ट की सुविधा उपलब्ध करवाते है)
त्रिउंड ट्रेक के लिए परमिशन एवं एंट्री-
खुशखबर ये है की त्रिउंड के लिये किसी भी प्रकार की अनुमति या परमिट की आवश्यकता नहीं है और न ही किसी प्रकार का शुल्क देना होता है। त्रिउंड पर प्रवेश बिल्कुल निःशुल्क है। यदि कोई पैसा मांगता है तो वो गलत है ।
त्रिउंड ट्रेक के चेक पॉइंट–यदि मैक्लोडगंज से त्रिउंड ट्रेक शुरू करने पर सबसे पहला चेक पॉइंट भाग सूनाग वाटर फॉल आता है। भाग सूनाग वाटर फॉल से आप ट्रेक करके गल्लूदेवी मंदिर तक पहुँचते है और उसके बाद यहाँ से त्रिउंड ट्रेक राईट हेंड की और शुरू होता है।
यदि अगर आप धर्मकोट से त्रिउंड ट्रेक शुरू करना चाहते है तो सबसे पहला चेक पॉइंट गल्लू देवी मंदिर आता है। वहा से राईट से ट्रेक आवेगा ।
त्रिउंड के टॉप पर ट्रैकर के रुकने के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध है। में विंटर में रुकने की सलाह नहीं दूंगा । वैसे तो त्रिउंड के शिखर पर एक सरकारी गेस्ट हाउस बना हुआ है जिसे ट्रैकर धर्मशाला में स्थित वन विभाग कार्यालय में अग्रिम बुक करवा सकते है। बिना एडवांस बुकिंग के ये नहीं मिलता है।
ट्रैकर त्रिउंड पर बने हुए हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के रेस्ट हाउस को बुक करनेके लिए वन विभाग के लैंडलाइन नंबर 01892-224887 और वन विभाग के आधिकारिक वेबसाइट [email protected] पर ईमेल करके रेस्ट हाउस की इन्क्वायरी कर सकते है।
लेकिन ज्यादा उपयुक्त तो यही रहता है कि या तो आप सीधा फ़ोन पर बात करके अपने लिए रूम बुक करवाएं या फिर वन विभाग के कार्यालय पर जाकर अपने लिए रूम बुक करवाएँ।त्रिउंड के टॉप पर टेंट लगाने के विकल्प भी उपलब्ध है और इसके अलावा खाने -पीने के लिए त्रिउंड के शिखर परचाय और मैग्गी की छोटी-छोटी दुकानें भी बनी हुई है। हांलाकि यहाँ भोजन का सामान बहुत ही महंगा है ।
अगर आप अपने साथ कैंपिंग का सामान लेकर नहीं गए है तो आपको शिखर पर कैंपिंग के लिये टेंट किराये पर मिल जाएगा जिस का एक रात का किराया 800 रुपये के आसपास होता है।स्लीपिंग बैग के साथ टेंट का किराया कुछ बढ़ सकता है। ये1000 तक जा सकता है ।
त्रिउंड ट्रेक के दौरान पानी की पूर्ति एवं डीहाईडरेशन से कैसे बचे –
त्रिउंड ट्रेक के दौरान सभी ट्रैकर को यह सलाह दी जाती है वह अपने साथ पानी की 2 बोटल जरूर साथ लेकर चले, हालांकि रास्ते मे चाय और मैग्गी की दुकानें आती है इनसे आप अपने लिए पानी की बोटल खरीद सकते है लेकिन इन दुकानों पर मिलने वाला पानी आम तौर पर महँगा मिलता है, यहाँ एक बोतल की कीमत है 40 रूपये। यदि आप 2 लीटर पानी रखते है एवं वापसी उसी दिन है तो आपको पानी नहीं खरीदना होगा ।
ऊपर चढ़ाई करते समय प्यास बहुत तेजी से लगती है इसलिए उस समय आपका शरीर भीबहुत तेजी से डी-हाइड्रेटेड होने लग जाता है इसलिए त्रिउंड के पूरे ट्रेक दौरान आपके पास पानी रखने की सलाह दी जाती है।