इंदौर: पुरे देश में स्वच्छता में पंच लगाने वाला मध्यप्रदेश का शहर इंदौर अब एक और कारनामा करने जा रहा हैं। दरअसल यहां अब कचरे का उपयोग भी ऊर्जा बनाने के लिए किया जाएगा। और इसी उद्द्येश्य की पूर्ति करने हेतु यहां एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट(Bio-CNG Plant) बनाया गया है। जिसकी मदद से कचरे का उपयोग कर बायो सीएनजी बनाई जायेगी और इसी से करीब 400 बायो सीएनजी बसें चलाई जायेगी।
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ऐसे बनेगी जैविक कूड़े से बायोगैस
इस बारे में जानकारी देते हुए प्रोजेक्ट हेड नीतेश त्रिपाठी के अनुसार जैविक कूड़े से बायोगैस ऐसे बनेगी-
- पहले जैविक कूड़े को डीप बंकर में लोड किया जाता हैं।
- वहां से उसे ग्रैब क्रेन से उठाकर प्री ट्रीटमेंट एरिया में मिलिंग होती है और स्लरी में बदला जाता हैं।
- फिर स्लरी को डायजर्स में डाइजेस्ट करते हैं, और उससे बायोगैस बनाते हैं।
- फिर बायोगैस को स्टोरेज एरिया में ले जाया जाता हैं, लेकिन इसमें मीथेन 55-60 होने की वजह से फिर उसे गैस क्लीनिंग और अपग्रेडेशन में ले जाते हैं।
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इस बारे में इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि इस बायो सीएनजी प्लांट से घनी आबादी वाले शहरों की वायु गुणवत्ता को शुद्ध करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि 550 मीट्रिक टन की कुल क्षमता के साथ यह संयंत्र 96 प्रतिशत शुद्ध मीथेन गैस के साथ सीएनजी का उत्पादन करेगा। वहीं उन्होंने बताया कि संयंत्र को पीपीपी मॉडल और निजी एजेंसी के सहयोग से स्थापित किया गया है।