केंद्र सरकार ने गरीबों और जरूरतमंदों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रधान मंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को समर्थन प्रदान करना है जो पारंपरिक व्यवसायों में संलग्न हैं। योजना के अंतर्गत, युवा कारीगरों को 18 अलग-अलग ट्रेडों में एक सप्ताह का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके साथ ही, स्वरोजगार के लिए बैंकों के माध्यम से 1 लाख से 3 लाख रुपये तक का ऋण बिना किसी गारंटी के उपलब्ध कराया जाता है।
इस योजना की पहली वर्षगांठ के अवसर पर वर्धा में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया गया और प्रधानमंत्री ने योजना के लाभ और दायरे पर अपने विचार साझा किए।
महाराष्ट्र में प्रशिक्षण का विस्तार
प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य कारीगरों के जीवन में समृद्धि लाना है। विभिन्न विभागों के समर्पण से यह योजना सफलतापूर्वक चल रही है। अब तक, देश के 700 से अधिक जिलों और 250 लाख ग्राम पंचायतों में इस अभियान को बढ़ावा दिया जा रहा है। पहले साल में, 18 विभिन्न प्रोफेशन में 20 लाख से अधिक लोग इस योजना से जुड़े हैं। इस दौरान 8 लाख कारीगरों को प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें अकेले महाराष्ट्र में 60,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।
आधुनिक उपकरण और ऋण की सुविधा
इस योजना के तहत, कारीगरों को साढ़े छह लाख आधुनिक उपकरण दिए गए हैं, जिससे उनकी उत्पादकता में सुधार हुआ है। हर लाभार्थी को 15,000 रुपये का ई-वाउचर भी प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, बिना किसी गारंटी के 3 लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि विश्वकर्मा योजना के तहत, पिछले एक साल में कारीगरों को 1400 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है।
समाज के सभी वर्गों को लाभ
प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना का सबसे अधिक लाभ एससी, एसटी, और ओबीसी समुदाय के लोगों को मिल रहा है। योजना ने जरूरतमंद गरीबों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रशिक्षण के दौरान कारीगरों को प्रति दिन 500 रुपये का भत्ता दिया जाता है और प्रशिक्षण पूरा होने पर उन्हें 20,000 रुपये का अनुदान टूल किट खरीदने के लिए मिलता है।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने गरीबों और युवा कारीगरों के लिए एक नई राह खोली है, जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगी, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी।