एलन मस्क के बयान के बाद अब ‘संयुक्त राष्ट्र’ आया सामने, UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर कही ये बात

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By Suruchi ChircteyPublished On: January 25, 2024

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के लिए भारत लगातार प्रयाश कर रहा है। कुछ दिन पहले ही एक्स और स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क ने यूनएसई में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर भारत का समर्थन किया था।ऐसे में भारत पहुंचे संयुक्त राष्ट्र महासभा के वर्तमान अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने भारत के दावेदारी को और भी मजबूती देने का कार्य किया है। उन्होनें कहा कि भारत “परिपक्व, अत्यधिक सम्मानित सदस्य” और विभिन्न पहलुओं में अग्रणी देश है।

एलन मस्क के बयान के बाद अब 'संयुक्त राष्ट्र' आया सामने, UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर कही ये बात

एलन मस्क के बयान के बाद अब 'संयुक्त राष्ट्र' आया सामने, UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर कही ये बात

दरअसल डेनिस फ्रांसिस बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जब उनसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सुरक्षा परिषद से अनुपस्थिति पर सवाल किया गया। तो उन्होंने यूएनजीए के भीतर देश की विश्वसनीयता और प्रभाव को पहचानते हुए सुरक्षा परिषद यूएनएससी में स्थायी सीट हासिल करने की भारत की क्षमता के बारे में भी आशा व्यक्त की।

फ्रांसिस ने मीडिया से बातचीत में संघर्ष के क्षेत्रीकरण के प्रति आगाह किया और कहा कि  विश्वयुद्ध की आशंका को खारिज नहीं कर सकते। फ्रांसिस ने गाजा में संघर्ष के लिए दो.राष्ट्र समाधान के लिए भारत के आह्वान की सराहना कीए और नयी दिल्ली की स्थिति को अत्यधिक जिम्मेदार व्यावहारिक समझदार और आवश्यक बताया। लाल सागर की स्थिति पर फ्रांसिस ने कहा कि यह बेहद परेशान करने वाली है। उन्होंने कहा यह बेहद परेशान करने वाली स्थिति है।

इस दौरान यूएनजीए अध्यक्ष ने कहा कि सुरक्षा परिषद की यह पुरानी संरचना वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने में विफल है। इतना ही नही उन्होनें कहा कि “संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद जिस रूप में वर्तमान में अस्तित्व में है, वह विश्व इतिहास के उस काल की याद दिलाती है जो अब अस्तित्व में नहीं है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2023 में अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए एक मजबूत वकालत की थी और कहा था कि प्राथमिक संयुक्त राष्ट्र निकाय दुनिया के लिए बोलने का दावा नहीं कर सकता है ।जब उसका सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र है स्थाई सदस्य नहीं है।