राजेश राठौर!
नई दिल्ली : प्रखर समाजवादी नेता शरद यादव का गुरुवार (12 जनवरी) को गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया। छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव के निधन की सूचना उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने ट्विटर के जरिये दी थी। शरद यादव का अंतिम संस्कार शनिवार को मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के माखननगर में स्थित उनके पैतृक ग्राम आंखमऊ में किया जाएगा।

शरद यादव पहली बार 1974 में वे मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। यह जेपी आंदोलन का समय था और वे हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे। 1977 में भी वे इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीते। उस वक्त वे युवा जनता दल के अध्यक्ष रहे। वे पहली बार राज्यसभा पहुंचे साल 1986 में। शरद यादव 1989 में यूपी की बदाऊं लोकसभा सीट से चुनाव जीते और तीसरी बार संसद में पहुंच गए। वे 1989-1990 में वीपी सिंह की सरकार में वे टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे।

बता दे कि, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद शरद यादव पहले ऐसे नेता थे जो तीन प्रांतों से लोकसभा सदस्य बने थे। शरद यादव ने सात बार लोकसभा चुनाव जीता। जबलपुर के अलावा शरद यादव ने उत्तर प्रदेश के बदायूं और बिहार के मधेपुरा से लोकसभा के चुनाव जीते, जो किसी भी राजनेता के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि थी।
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शरद यादव की दो संतान है- बेटी सुभाषिनी और बेटा शांतनु। यूं तो दोनों राजनीति में सक्रिय है। लेकिन सुभाषिनी सियासी मैदान में ज्यादा मुखर और सक्रिय दिखती हैं। सुभाषिनी यादव शरद यादव की बेटी हैं और पिता के सियासी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। सुभाषिनी यादव ने पिछली बार पिता की पारंपरिक सीट मधेपुरा में पड़ने वाले एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। शरद यादव काफी मजे हुए राजनेता थे। लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि शरद यादव अपनी बेटी के साथ गुड़गांव में रहा करते थे।
उनके पास अपनी कोई संपत्ति नहीं थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरद यादव अपनी बेटी द्वारा दिए गए फार्महाउस में रहते थे उन्हें जो सरकारी क्वार्टर मिला था उसे उन्होंने खाली कर दिया था
इस बिच शरद यादव का एक विडिओ सामने आया है, जिसमे वह कह रहे है कि, 1991 में सूर्यनारायण नाम का एक कलेक्टर था, उसने मुझसे कहा था कि यहां दंगा हो जाएगा आप बड़ी मुश्किल में फस जाएंगे। उसने वोटिंग वाले दिन मुस्लिम मोहल्ले में बहुत बड़ा लाठीचार्ज किया था। उसने बड़े पैमाने पर लाठीचार्ज किया था, में हारा नहीं, हराया गया हु।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि शरद यादव 1989-90 में टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे हैं। 1991 से 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे। 1995 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया और 1996 में वह पांचवी बार लोकसभा का चुनाव जीते। 1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। 1999 में उन्होंने लालू प्रसाद को माधोपुरा संसदीय सीट से पराजित किया था।