दीपों का पर्व दिवाली, जो प्रकाश का उत्सव है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही, देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। ये दोनों त्योहार भारत में धूमधाम से मनाए जाते हैं। कुछ ही दिनों में पांच दिवसीय दीपोत्सव का आरंभ होने वाला है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का पर्व मनाया जाता है, जबकि देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है।
इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी, और इसके 15 दिन बाद, 15 नवंबर को देव दीपावली का पर्व होगा। यह दिन विशेष रूप से रोशनी का उत्सव माना जाता है। देव दीपावली का महत्व इस तथ्य में निहित है कि इसे देवताओं द्वारा मनाए जाने वाली दिवाली माना जाता है।
देव दीपावली का महत्व
देव दीपावली का पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस पौराणिक घटना के बाद सभी देवताओं ने स्वर्गलोक में दीप जलाए थे, और तब से इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।
देव दीपावली 2024
इस वर्ष देव दीपावली 15 नवंबर को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर को दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 16 नवंबर को शाम 5:10 बजे समाप्त होगी। इसलिए, उदया तिथि के अनुसार, देव दीपावली 15 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन कई स्थानों पर तुलसी विवाह का उत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें तुलसी जी का विवाह शालिग्राम भगवान से किया जाता है।
देव दीपावली पर की जाने वाली रस्में
देव दीपावली को देवताओं की दिवाली कहा जाता है। इस दिन सभी देवता धरती पर आकर दिवाली मनाते हैं, इसलिए इस अवसर पर उनके लिए दीये जलाने की परंपरा है। वाराणसी में देव दीपावली का विशेष महत्व है। यहां हर साल गंगा के तट पर लाखों दीप जलाए जाते हैं, जिससे अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। लोग जलाशयों के किनारे दीपक जलाकर इस पर्व को मनाते हैं, और यह दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है।
इस प्रकार, देव दीपावली का पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव का भी प्रतीक है, जो प्रकाश और समृद्धि के संदेश को फैलाता है।