टॉप खिलाड़ियों के बिना और बेमेल जोड़ी के साथ भारत के खेलने से क्या फायदा

Pinal Patidar
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धर्मेश यशलहा
विश्व सुदिरमन कप मिश्रित टीम फाइनल्स बैडमिंटन स्पर्धा में भारत कमजोर फिनलैंड को भी 5-0 से नही हरा सका, वान्ता(फिनलैंड)में भारत ने फिनलैंड से एक मैच गंवा दिया और विश्व नंबर 14किदाम्बी श्रीकांत, विश्व नंबर 67 काले कोल्जोनेन से तीन गेमों में जीत सके, चीन और थाईलैंड के खिलाफ बेहतर खेलकर अपना मैच हारने वाले विश्व नंबर 46एम.आर.अर्जुन और ध्रुव कपिला ने विश्व नंबर 804एन्टोन कैस्ति और जेस्पर पोल से मैच(20-22,19-21) गंवाया!!फिनलैंड की स्पर्धा में यही एकमात्र जीत है,

विश्व नंबर 10सात्विक साईंराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के नही खेलने से अर्जुन और ध्रुव पुरुष युगल में खेले, अर्जुन और ध्रुव एवं अनुभवी अश्विनी पोनप्पा और सिकी रेड्डी ही बेहतर खेले, अर्जुन और ध्रुव ने थाईलैंड से अपना मैच भी जीता, फिनलैंड के खिलाफ मिश्रित युगल में एम.आर.अर्जुन और अश्विनी पोनप्पा को खिलाया गया, ऐसा थाईलैंड और चीन के खिलाफ महत्वपूर्ण मुकाबले में क्यों नही किया गया!पहले बी.साईंप्रणीत और फिर किदाम्बी श्रीकांत को मिश्रित युगल में खिलाने का क्या तुक था?क्या पहले से ही हार मान ली थी?

एकल खिलाड़ी को खिलाने के बजाय युगल विशेषज्ञ खिलाड़ी को ही अवसर दिया जाता तो उन्हें अनुभव भी मिलता, स्टार स्पोर्ट्स टी.वी.चैनल की कमेंटेटर ने भी चीन के दौरान हुए मुकाबले के समय यह टिप्पणी की है कि “भारत ने एकल (सिंगल्स)खिलाड़ियों को थाईलैंड और चीन के खिलाफ क्यों खिलाया

इस तरह तो मिश्रित युगल के महत्व और जरूरत को नकारा, युगल(डबल्स)खिलाड़ी को उतार कर उन्हें अनुभव देना था” चीन ने मिश्रित और पुरुष युगल में नई जोडी उतारी ,वे युगल विशेषज्ञ ही थे, मिश्रित युगल के खिलाड़ी तो विश्व जूनियर विजेता रह चुके हैं, भारत के सितारे खिलाड़ी टीम मुकाबले की अनदेखी करते है, विश्व विजेता पी.वी.सिंधु और सात्विक व चिराग खेलते तो क्या हमारी टीम मजबूत नही होती?

चिराग शेट्टी बीमार हो गये तो सात्विक साईंराज रैंकीरेड्डी को तो सुदिरमन कप खेलने जाना था, सात्विक और अश्विनी पोनप्पा की जोडी मिश्रित युगल में खेलती तो थाईलैंड और चीन के विरूद्ध हमारी चुनौती दमदार होती, सिंधु जाती तो शायद थाईलैंड से हम मुकाबला जीतकर क्वार्टर फाइनल में भी पहुंच जाते, हमारे ये खिलाड़ी चीन के खिलाड़ियों को भी हराने की क्षमता रखते हैं,

सिंधु टोक्यो ओलंपिक विजेता चीन की चेन युफेई से बीसा नही होती और थाईलैंड की पोर्नपवी चोचुवोंग से इसी साल मार्च में आँल इंग्लैंड के सेमीफाइनल में हारी है, तो क्या वे इसी वजह से नही गई ? क्या उनके लिए टीम मुकाबले(भारत के लिये)के बजाय विश्व टूर स्पर्धाओं(व्यक्तिगत)का अधिक महत्व है? देश के टाँप रैंक खिलाड़ियों को टीम मुकाबले में देश के लिये खेलने की अनिवार्यता बहुत जरुरी हैं,

विश्व नंबर 15 साईंप्रणीत ने विश्व नंबर 10 शी युकी के सामने आसानी से घुटने टेक दिये, साईंप्रणीत की शी से यही सबसे आसान हार है, इससे पहले दोनों के बीच हुए चारों मुकाबले में शी ही जीते थे, लेकिन चारों मैच में तीन-तीन गेम हुये, विश्व कांस्य पदक विजेता साईंप्रणीत ने टोक्यो ओलंपिक में भी निराशाजनक प्रदर्शन किया और मैच गंवाये,चीन से भारत पाँचों मैच हारा और एक भी गेम नही जीत सका, महिला एकल में सिंधु और साइना नेहवाल के बाद हमारी दूसरी पंक्ति बहुत कमजोर हैं

सुदिरमन कप में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है अब तक सिर्फ दो बार ही समूह लीग से नाकआउट दौर में पहुंचा है, भारत 2011(चीन)और 2017(गोल्ड कोस्ट, आस्ट्रेलिया)में ही क्वार्टर फाइनल खेला, लेकिन अब हमारे पास बेहतर पुरुष युगल खिलाड़ी तो हैं
अब 9से 17अक्टूबर तक आरहुस (डेनमार्क)में विश्व थाँमस कप-युबेर कप टीम फाइनल्स-2020 बैडमिंटन स्पर्धा है, महिलाओं के युबेर कप में साइना नेहवाल खेल रही है, पुरुषों के थाँमस कप में सात्विक और चिराग खेले तो भारत की टीम मजबूत होगी, चिराग और सात्विक के डेनमार्क जाने के संबंध में

भारतीय बैडमिंटन संगठन महासचिव अजय सिंघानिया ने बताया कि चिराग चोट के कारण फिनलैंड नही गये,थाँमस कप के लिये जायेंगे या नही यह डाँक्टर की सलाह पर निर्भर होगा, उनकी जगह हमने अभी दूसरे खिलाड़ी को नही लिया है, भारतीय टीम प्रबंधक ओमार रशीद को उम्मीद है कि सात्विक और चिराग खेलेंगे,

अभी 3अक्टूबर तक सुदिरमन कप है, वान्ता (फिनलैंड)में भारत के ‘अ’ समूह से चीन और थाईलैंड एवं ‘स’ समूह से इंडोनेशिया और डेनमार्क क्वार्टर फाइनल में हैं, चीन ने थाईलैंड और इंडोनेशिया ने डेनमार्क को 1-2 से पीछे होने के बाद 3-2 से हराया,दक्षिण कोरिया, जापान, चीनी ताईपेई और मलेशिया अन्य समूह से क्वार्टर फाइनल में हैं