बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत आ गई थी। वहीं अंतरिम सरकार के गठन के बाद हसीना पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज कर दिए गए। जिससे अब उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है।
बता दें बीएनपी ने कहा है कि शेख हसीना के खिलाफ हत्या समेत कई अन्य अपराधों में मुकदमा दर्ज है। हमारा आग्रह है कि भारत को कानूनी तरीके से बंग्लादेश की सरकार को उन्हें (शेख हसीना को) सौंप देना चाहिए। बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों ने शेख हसीना के खिलाफ मुकदमा चलाने का फैसला दे दिया है। आलमगीर ने कहा कि शेख हसीना को शरण लेने की अनुमति देना लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के भारत के संकल्प के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, वहां रहकर उन्होंने (शेख हसीना ने) बांग्लादेश में हुई क्रांति को धता बताने की कई साजिशें शुरू की हैं।
क्या है भारत-बांग्लादेश के बीच है प्रत्यर्पण संधि
भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौता है जिसके तहत खिलाफ हत्या और उगाही जैसे अपराधों में मुकदमा दर्ज है जो प्रत्यर्पण की शर्तों के अधीन आता है। हालांकि प्रत्यर्पण का द्विपक्षीय समझौता वैसे मामलों में लागू नहीं होता है जिनकी प्रकृत्ति राजनीतिक हो। यानी राजनीतिक हस्तियों का प्रत्यर्पण जरूरी नहीं होता, लेकिन हत्या जैसे गंभीर अपराध में मुकदमा दर्ज हो तो फिर नेताओं का भी प्रत्यर्पण हो सकता है।
भारत के पास है अनुच्छेद 8 का हथियार
भारत के पास बांग्लादेश के साथ प्रत्यर्पण होने के बावजूद शेख हसीना के संरक्षण का रास्ता है। भारत प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर सकता है। अनुच्छेद 8 कहता है कि अगर प्रत्यर्पण की मांग के पीछे इरादा सही या न्याय के हक में नहीं हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।