सिंचाई सुविधा को बेहतर करने के लिए जल संसाधन विभाग कर रहा कार्य – मंत्री सिलावट

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जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से सिंचाई की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिये जल संसाधन विभाग लगातार कार्य कर रहा है। वर्ष 2005 में प्रदेश में कुल सिंचित क्षेत्र 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 41 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है।

इस प्रकार प्रदेश में विगत 15 वर्षों में 5 गुना से अधिक सिंचाई क्षमता निर्मित की है। इसमें जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित संसाधनों से 34 लाख 55 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है। जल संसाधन विभाग ने वर्ष 2021-22 के लिये 6 हजार 436 करोड़ 4 लाख का बजट प्रावधानित किया था, जिसे सदन में पारित किया गया। यह विगत वर्ष 2020-21 के बजट से 372 करोड़ 61 लाख रुपये अधिक है। सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने और किसान की आय दोगुना करने के लिये सरकार सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा रही है।

प्रदेश में समावेशी एवं समृद्ध विकास के लिये वर्ष 2024-25 तक प्रदेश में सिंचाई क्षेत्रफल को 65 लाख हेक्टेयर किया जाना है। इसके अंतर्गत एनवीडीए द्वारा सिंचित क्षेत्रफल भी शामिल है। 31 दिसम्बर, 2020 की स्थिति में जल संसाधन विभाग की कुल निर्मित सिंचाई क्षमता 34.55 लाख हेक्टेयर है। हम वर्ष 2024-25 तक इसे बढ़ाकर 45 लाख हेक्टेयर तक करेंगे। यद्यपि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के संक्रमण के कारण विभाग की निर्माण गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं, तथापि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंत तक लगभग एक लाख 15 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी।

वर्तमान में विभाग के अंतर्गत 27 वृहद, 47 मध्यम एवं 303 लघु सिंचाई परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल सिंचाई क्षमता 23 लाख 45 हजार हेक्टेयर है। वर्तमान स्थिति में इन निर्माणाधीन परियोजनाओं से लगभग 4 लाख 44 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है। इन निर्माणाधीन परियोजनाओं की कुल लागत 57 हजार 801 करोड़ रुपये है।

सरकार के प्रयासों एवं विभाग के कुशल प्रबंधन से प्रदेश के जल संसाधनों का उपयोग कर अधिकतम सिंचाई क्षमता विकसित की जा रही है। वर्ष 2020-21 में कुल 33 लाख 71 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है। विभाग द्वारा वर्ष 2020-21 में खरीफ फसल के लिये 2 लाख 69 हजार हेक्टेयर, रबी फसल के लिये 30 लाख 42 हजार हेक्टेयर एवं जायद की फसल के लिये 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई।भारत सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” के तहत “हर खेत को पानी” घटक अंतर्गत प्रदेश की 10 योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर चयन किया गया है।

भारत के प्रधानमंत्री, Nनरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रारंभ आत्म-निर्भर भारत मिशन के तहत् आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत 31 मार्च, 2021 तक एक लाख 15 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार 31 मार्च, 2022 तक एक लाख 70 हजार हेक्टेयर, 31 दिसम्बर, 2023 तक 3 लाख 15 हजार हेक्टेयर तथा 31 मार्च, 2025 तक 6 लाख 25 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित किये जाने का लक्ष्य सरकार द्वारा तय किया गया है।

स्प्रिंकलर एवं ड्रीप के माध्यम से सिंचाई प्रबंधन किया जाता है, जिसके फलस्वरूप एक-एक बूँद जल का समुचित उपयोग कर कृषि उत्पादन बढ़ाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। वर्तमान में विभाग के अंतर्गत 22 वृहद एवं 33 मध्यम निर्माणाधीन परियोजनाएँ पाइप आधारित दबाव युक्त सूक्ष्म सिंचाई पद्धति पर आधारित हैं, जिनके पूर्ण होने पर लगभग 17 लाख 86 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
दबाव युक्त बहाव के उपयोग से सूक्ष्म सिंचाई पद्धति पर आधारित योजनाओं का निर्माण करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। हमारी बानसुजारा परियोजना भारत की सबसे बड़ी पाइप आधारित सूक्ष्म सिंचाई परियोजना है, जिसके पूर्ण होने पर 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। इस वर्ष रबी के सीजन में इससे लगभग 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई है।

इसके अतिरिक्त मोहनपुरा-कुण्डलिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, राजगढ़ भी एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके पूर्ण होने पर 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इस वर्ष मोहनपुरा परियोजना से लगभग 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है। परियोजना के पूर्ण होने से 7 लाख 30 हजार किसान लाभान्वित होंगे और मोहनपुरा-कुण्डलिया पाइप के माध्यम से दबाव युक्त बहाव पद्धति पर आधारित विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना होगी।

इसके साथ ही गरोठ सूक्ष्म सिंचाई परियोजना, मंदसौर पूर्ण हो चुकी है, जिससे लगभग 21 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सफलतापूर्ण सिंचाई की जा रही है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत-रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के स्वप्न के रूप में केन-बेतवा लिंक परियोजना एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है, जिसके लिये वर्ष 2005 में एमओयू किया गया है।

इस परियोजना से मध्यप्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखण्ड क्षेत्र में 6 लाख 53 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी, साथ ही लगभग 62 लाख आबादी के लिये पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इसके अतिरिक्त इस परियोजना से 78 मेगावॉट विद्युत उत्पादन भी होगा, जिस पर पूरा अधिकार मध्यप्रदेश का होगा।

मध्यप्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने, पेयजल संकट को दूर करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अजट भू-जल योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना से बुंदेलखण्ड के 6 जिलों के 9 विकासखण्ड लाभान्वित होंगे। यह योजना पूर्ण रूप से भारत सरकार एवं विश्व बैंक द्वारा अनुदान प्राप्त है, जिसकी कुल लागत 314 करोड़ 55 लाख रुपये है। परियोजना के संबंध में मध्यप्रदेश सरकार एवं भारत सरकार के मध्य एमओयू 28 अक्टूबर, 2020 को निष्पादित किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (हर खेत को पानी) के अंतर्गत भू-जल संसाधनों से सिंचाई योजना में मध्यप्रदेश के 5 जिलों- मण्डला, डिण्डौरी, शहडोल, उमरिया एवं सिंगरौली का चयन किया गया है। इस योजना में भू-जल स्रोतों से सिंचाई की जाना प्रस्तावित है, जिसकी लागत 1706 करोड़ रुपये है।

हमारी सरकार द्वारा चंबल की सहायक नदी कूनो पर स्व. श्रीमंत माधवराव सिंधिया वृहद सिंचाई परियोजना प्रस्तावित की गई है। इस परियोजना से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की लगभग एक लाख 50 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी तथा इस क्षेत्र की पेयजल समस्या का निवारण भी किया जा सकेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत 5 हजार 500 करोड़ रुपये है। परियोजना की डीपीआर तैयार की जाकर प्रारंभिक सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। नवीन सिंचाई परियोजनाएँ सृजित करने के साथ-साथ पहले से मौजूद बाँधों की सुरक्षा एवं सुधार के भी निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इस क्रम में जल संसाधन विभाग द्वारा इस वर्ष 27 बाँधों का सुधार कार्य किया जायेगा।