आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी रविवार 3 जुलाई को है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत किया जाता है। इसलिए इसे विनायकी चतुर्थी भी कहा जाता है| इस व्रत में दिनभर निराहार रहकर शाम को चंद्र दर्शन के बाद चंद्र देव की और गणेश जी की पूजा के बाद अन्न ग्रहण करते हैं।
कैसे करे पूजन
चतुर्थी पर गणेश जी को जल चढ़ाएं। वस्त्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें। इस गौशाला में गायों की देखभाल करनी चाहिए। गायों को हरी घास खिलाएं।
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क्या है महत्व
ज्योतिषो के अनुसार रविवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही सभी पंच देवों भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। पंच देवों में गणेश जी के अलावा, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। किसी भी शुभ की शुरुआत इन पंचदेवों की पूजा के साथ की जाती है। स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद किसी जरूरतमंद लोगों को या किसी मंदिर में दान करे|
विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी रविवार, 3 जुलाई को पड़ रही है. विनायक चतुर्थी शनिवार, 02 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ हो गई है जो रविवार, 03 जुलाई को शाम 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. इस दौरान गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 49 मिनट तक रहेगा|