8 जून को इंदौर क्राइम ब्रांच और मेघालय पुलिस ने ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी पर कुल्हाड़ी से हमला करने वाले आरोपी विशाल चौहान को धरदबोचा। पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि इस साजिश में राज कुशवाह भी सक्रिय रूप से शामिल था।
इससे पहले मेघालय पुलिस का अनुमान था कि सीसीटीवी फुटेज में सोनम के साथ दिखाई देने वाले तीनों युवक ही हत्या की साजिश में शामिल थे।

SIT की जांच में सामने आया सोनम का मुख्य किरदार
असल में, 2 जून को राजा रघुवंशी का शव मिलने के बाद मेघालय पुलिस ने आरोपियों की तलाश के लिए ‘ऑपरेशन हनीमून’ शुरू किया और मामले की जांच SIT को सौंपी गई। जांच के दौरान चौथे दिन यानी 6 जून तक पुलिस के पास यह ठोस सबूत आ चुके थे कि सोनम इस हत्याकांड की मुख्य साजिशकर्ता है। साथ ही, यह भी स्पष्ट हो गया कि उसके साथ तीन युवक और थे, जो सभी इंदौर के रहने वाले हैं।
गिरफ्तारी से बेखबर, ‘पीड़िता’ बनने की तैयारी में थी सोनम
मेघालय पुलिस ने यह सारी जानकारी इंदौर पुलिस के साथ साझा की। इसके बाद 8 जून तक सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। सोनम को इस बीच गिरफ्तारी की जानकारी नहीं थी और वह खुद को पीड़िता साबित करने की योजना पर काम कर रही थी। लेकिन जब सभी आरोपी पकड़े गए, तब उसे एहसास हुआ कि राजा की हत्या की साजिश का भंडाफोड़ हो चुका है।
6 जून- चार मोबाइल नंबर और मर्डर मिस्ट्री की गुत्थी
इंदौर क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया, “राजा रघुवंशी का शव मिलने के बाद इंदौर पुलिस भी सतर्क हो गई थी। चूंकि राजा और सोनम इंदौर से शिलॉन्ग घूमने गए थे, इसलिए शुरुआती दौर में हमें यह अनुमान नहीं था कि इस मामले की कड़ियाँ इंदौर से भी जुड़ेंगी।”
दंडोतिया बताते हैं, “6 जून को मेघालय पुलिस से हमें एक अहम इनपुट मिला। जानकारी दी गई कि सोनम और राजा रघुवंशी के साथ मौजूद जिन तीन युवकों की पहचान हुई है, उनके मोबाइल नंबर इंदौर से लिए गए हैं और पते भी यहीं के हैं। मेघालय पुलिस को शक था कि ये युवक राजा की हत्या में शामिल हो सकते हैं। इसलिए हमें निर्देश दिया गया कि इन पर निगरानी रखें और इनके पते की पुष्टि के लिए मौके पर जाकर जांच करें।”
आगे उन्होंने कहा की, हमें संदिग्धों की तस्वीरें जुटाने का निर्देश भी मिला। साथ ही यह भी कहा गया कि मेघालय पुलिस की दो-तीन टीमें इंदौर के लिए रवाना हो रही हैं, इसलिए तब तक न तो किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाए और न ही इस संबंध में कोई जानकारी साझा की जाए।
7 जून- संदिग्धों पर रखी गई पैनी नजर
दंडोतिया के अनुसार, मेघालय पुलिस से मिले इनपुट के आधार पर इंदौर क्राइम ब्रांच ने दो विशेष टीमें गठित की थीं। एक टीम तकनीकी पहलुओं पर काम कर रही थी, जो कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और लोकेशन समेत अन्य अहम जानकारियां एकत्रित कर रही थी, जबकि दूसरी टीम चारों संदिग्धों की फिजिकल निगरानी में जुटी थी। आकाश, विशाल और आनंद से जुड़ी अधिकतर जानकारी तक हम पहुंच चुके थे। इसी शाम मेघालय पुलिस की टीम भी इंदौर आ गई।
8 जून की रणनीति, शाम को दबिश
इंदौर में मेघालय पुलिस की दो टीमें पहुंचीं और अब तक की जांच में जुटाए गए सभी सबूत इंदौर पुलिस के साथ साझा किए। उधर, इंदौर पुलिस ने भी मेघालय टीम को आकाश, विशाल और आनंद की आवाजाही की टाइमलाइन और उनकी दिनचर्या से जुड़ी जानकारी मुहैया कराई। इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई की योजना बनाई और तय किया कि शाम 6 बजे तीनों आरोपियों को पकड़ने के लिए एक साथ ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।
पुलिस की एक टीम शाम 6 बजे के करीब विशाल चौहान के घर पहुंची। उस समय वह घर में बैठकर शराब पी रहा था। सिविल ड्रेस में मौजूद अधिकारियों ने वहीं पर उससे पूछताछ शुरू की। शुरुआती सवालों में उसने शिलॉन्ग जाने और हत्या में शामिल होने से साफ इनकार किया। लेकिन जब पुलिस ने उसके इंदौर से गुवाहाटी और फिर शिलॉन्ग तक की यात्रा के सबूत और CCTV फुटेज सामने रखे, तो उसने आखिरकार कबूल कर लिया कि वह इस हत्याकांड में शामिल था।
विशाल ने पूछताछ के दौरान यह भी बताया कि उसका दूसरा साथी आकाश कहां रहता है। इसके आधार पर पुलिस ने आकाश को उसके निवास से ही हिरासत में ले लिया। वहीं, जब पुलिस तीसरे आरोपी आनंद के घर पहुंची, तो वह पहले ही बीना स्थित बसाहरी गांव के लिए रवाना हो चुका था। तुरंत कार्रवाई करते हुए मेघालय पुलिस की एक टीम बीना के लिए निकल पड़ी। जब आनंद अपने चाचा भगवानदास के घर पर था, तभी पुलिस ने उसे वहां से गिरफ्तार कर लिया।
9 जून- साथी हो चुके थे गिरफ्तार, बेखबर रही सोनम
7 जून को जब मेघालय पुलिस इंदौर पहुंची, उसी दिन सोनम अपनी योजना के तहत बस से गाजीपुर के लिए रवाना हो गई थी। वहां पहुंचने के बाद वह खुद को लूट की घटना का शिकार बताने वाली थी और दावा करती कि उसके पति राजा रघुवंशी की हत्या बांग्लादेशी लुटेरों ने कर दी। इस झूठे बयान के जरिए वह खुद को पीड़िता के रूप में पेश करना चाहती थी।
सोनम ने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ रखा था, जिस कारण उसे राज, आकाश और विशाल की गिरफ्तारी की कोई जानकारी नहीं थी। वह उस वक्त सिलिगुड़ी जाने की तैयारी कर रही थी। जैसे ही उसने फोन चालू किया, राज का कॉल आया—उसने बताया कि कुछ गड़बड़ हो गई है और आकाश लापता है। यह सुनकर सोनम गाजीपुर लौट आई और एक ढाबे पर जाकर वहां के संचालक के फोन से अपने भाई गोविंद को कॉल किया।
दंडोतिया के अनुसार, अगर सोनम इंदौर में एक दिन और रुक जाती, तो संभवतः पुलिस उसे वहीं गिरफ्तार कर लेती। बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ही सोनम ने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया।