होली पर भांग पीने की परंपरा, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Deepak Meena
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Holi 2024 : होली, रंगों का त्योहार, न केवल अपनी खुशियों और उत्साह के लिए जाना जाता है, बल्कि भांग पीने की परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है। होली के दिन, लोग भांग से बनी ठंडाई या अन्य व्यंजन का सेवन करते हैं, जो उन्हें उत्सव के माहौल में खो जाने में मदद करता है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होली पर भांग पीने की परंपरा क्यों शुरू हुई? आइए इस परंपरा के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व को समझें:

धार्मिक महत्व:

भगवान शिव: भगवान शिव को भांग का देवता माना जाता है। कई कहानियां हैं जो भगवान शिव और भांग के बीच संबंध को दर्शाती हैं। एक कहानी के अनुसार, भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी लिया था, जिससे उनका गला जलने लगा था। भांग ने उन्हें जलन से राहत प्रदान की थी।

होलीका दहन: होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भांग को बुरी आत्माओं को दूर भगाने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए भी माना जाता है।

वैज्ञानिक महत्व:

मानसिक प्रभाव: भांग में THC नामक एक यौगिक होता है जो मस्तिष्क को उत्तेजित करता है और खुशी, उत्साह और ऊर्जा की भावना पैदा करता है। यह लोगों को सामाजिक रूप से अधिक मिलनसार और खुले विचारों वाला बनाता है, जो होली के उत्सव के लिए एकदम सही है।

औषधीय गुण: भांग में कई औषधीय गुण भी होते हैं। यह दर्द से राहत, अनिद्रा और चिंता को कम करने, और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

होली पर भांग पीने की परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्वों से जुड़ी हुई है। भांग लोगों को उत्सव का आनंद लेने में मदद करती है, और इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं।