कब है सावन शिवरात्रि? यहां जानें सही तिथि, व्रत विधि और पूजा का शुभ मुहूर्त

सावन शिवरात्रि 2025 का पर्व 23 जुलाई को मनाया जाएगा, जो कांवड़ यात्रा के समापन का प्रतीक है; इस दिन शिवभक्त व्रत, रात्रि पूजा और जलाभिषेक के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।

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Sawan Shivratri 2025 : हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है, और इस माह में आने वाली शिवरात्रि को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। सावन की शिवरात्रि हर वर्ष त्रयोदशी तिथि को आती है और इसे मासिक शिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है।

हालांकि हर मास में शिवरात्रि आती है, लेकिन श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि की महत्ता कहीं अधिक मानी जाती है क्योंकि पूरा सावन ही भगवान शिव को समर्पित होता है।

इसी दिन होता हैं कांवड़ यात्रा का समापन 

सावन की शिवरात्रि का दिन कांवड़ यात्रा के समापन का प्रतीक होता है। इस दिन कांवड़िए गंगाजल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और अपने संकल्प को पूर्ण करते हैं। देशभर के मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। गंगाजल, दूध, शहद और बेलपत्र के माध्यम से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है और “ॐ नमः शिवाय” के जाप से वातावरण भक्तिमय हो उठता है।

सावन शिवरात्रि 2025 की तिथि और पूजा का मुहूर्त

वर्ष 2025 में सावन शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा। व्रतधारी इसी दिन व्रत रखेंगे और भगवान शिव की आराधना करेंगे। निशिता काल में पूजा का विशेष महत्व होता है, जो इस बार 24 जुलाई को रात्रि 12:07 बजे से लेकर 12:48 बजे तक रहेगा। पूजा का यह विशेष काल 41 मिनट का होगा। शिवरात्रि व्रत का पारण अगले दिन यानी 24 जुलाई की सुबह 05:38 बजे किया जा सकता है।

सावन शिवरात्रि व्रत विधि: कैसे करें शिव की उपासना

इस पवित्र दिन पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में बताई गई विधि के अनुसार पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना गया है:

  • प्रातःकाल स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • नजदीकी शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और पुष्प चढ़ाएं।
  • “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए चार पहर की पूजा करें, प्रत्येक पहर में अलग-अलग सामग्री से अभिषेक किया जाता है।
  • संध्या काल की पूजा को विशेष रूप से फलदायक माना गया है, अतः इस समय आरती और भजन अवश्य करें।
  • व्रती को इस दिन एक समय भोजन ग्रहण करना चाहिए और वह भी बिना लहसुन-प्याज के सात्विक रूप में।
  • व्रत का पारण चतुर्दशी तिथि के समाप्त होने से पहले ही करें, क्योंकि मान्यता है कि शिव पूजन और पारण दोनों इसी तिथि में होने चाहिए।

शिव कृपा पाने का अमोघ अवसर

श्रावण मास की शिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक साधना का अवसर है, जिसमें व्यक्ति अपनी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकता है। यह दिन आत्मिक शुद्धि, पापों से मुक्ति और इच्छाओं की पूर्ति का माध्यम बनता है। जो भी भक्त इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करता है, उस पर शिव की अपार कृपा बनी रहती है।

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