आज बुधवार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि है। आज उत्तराषाढा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
(उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
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-आज सूर्य षष्ठी व्रत है।
-आज के दिन कार्तिकेय जी ने देवराज इन्द्र द्वारा प्रदान की गई सुरश्रेष्ठा देवसेना को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
-आज के दिन अनुपम सिद्धि प्राप्त करने के लिए षडानन कार्तिकेय और देवसेना की भली-भांति पूजा करना चाहिए।
-द्वितीया, अष्टमी, षष्ठी और एकादशी तिथियां यदि पहले वाली तिथि से संयुक्त हो तो उस दिन व्रत नहीं करें। (नारद पुराण)
-देवताओं की प्रसन्नता के लिए तो तिथि के अंतिम भाग में ही उपवास करना उचित है।
-शिवजी का गोत्र, कुल सिर्फ नाद है। शिवजी से ही नाद की महिमा प्रगट हुई है।
-ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पत्नी अरुन्धति के सतीत्व में इतना तेज था कि जो भी उन्हें कामभाव से देखता था, वह तत्काल नपुंसक हो जाता था।
-कमल, बिल्व पत्र, शतपत्र, शंख पुष्पों से शिवजी का पूजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
-5 लाख महा मृत्युञ्जय मन्त्र जप से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
विजय अड़ीचवाल