आज है कार्तिक कृष्ण पंचमी/षष्ठी तिथि, रखें इन बातों का ध्यान

Pinal Patidar
Published on:
Kartik Maas 2021

आज मंगलवार, कार्तिक कृष्ण पञ्चमी/षष्ठी तिथि है। आज आर्द्रा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है।
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है )

-अमावस्या और उसमें स्वाति नक्षत्र का योग हो, उसी दिन दीपावली होती है। 4 नवम्बर गुरुवार को यह योग है।
-इसी दिन (दीपावली के दिन) राजा बलि ने भगवान से यह वर मांगा कि ‘मैंने छद्म से वामन रूप धारण करने वाले आपको भूमि दान दी है और आपने उसे 3 दिनों में 3 पगों द्वारा नाप लिया है। अतः आज से लेकर 3 दिनों तक प्रतिवर्ष पृथ्वी पर मेरा राज्य रहे। उस समय जो मनुष्य पृथ्वी पर दीपदान करें, उनके घर में आपकी पत्नी लक्ष्मी स्थिर भाव से निवास करें।’
-दैत्यराज बली को भगवान विष्णु ने चतुर्दशी से लेकर 3 दिनों तक का राज्य दिया है। इसलिए इन 3 दिनों में यहां सर्वथा महोत्सव करना चाहिए।
-चतुर्दशी की रात्रि में देवी महारात्रि का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः शक्तिपूजा परायण मानवों को चतुर्दशी का उत्सव अवश्य करना चाहिए।
-भगवान सूर्य के तुला राशि में स्थित होने पर चतुर्दशी और अमावस्या की सन्ध्या के समय मनुष्य हाथ में दीपक लेकर पितरों को मार्गदर्शन कराएं।
-कार्तिक मास में चतुर्दशी अमावस्या और प्रतिपदा तिथियां दीपदान आदि के कार्यों में ग्रहण करने योग्य हैं।
-अमावस्या के दिन प्रदोष के समय कल्याणमय महालक्ष्मी देवी का पूजन करना चाहिए। उस दिन लक्ष्मीजी के लिए कमल के फूलों की शैया बनाना चाहिए। दुग्ध पदार्थ से बने लड्डू से लक्ष्मी जी को भोग लगाना चाहिए। प्रदोष काल में दीपदान करें।
-राजा बलि को जब वामन रूपी भगवान विष्णु ने वरदान दिया, तब से ही इस पृथ्वी पर महालक्ष्मी पूजन तथा दीपोत्सव मनाना शुरू हुआ है।
-इसके बाद दीपावली पर्व के साथ अन्य बातें भी जुड़ती गई।
-दीपावली के दिन जीव हिंसा, मदिरापान, जुआं, अगम्यागमन, चोरी और विश्वासघात नहीं करना चाहिए।

विजय अड़ीचवाल