विजय अड़ीचवाल
आज बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण पञ्चमी तिथि (Tithi) है।
आज पुनर्वसु/ पुष्य नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
(उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
ये भी पढ़े – Kaal Bhairav Jayanti: इस दिन है काल भैरव जयंती, सच्चे मन से करें पूजा राहु दोष होगा खत्म
वेदों में धर्म दर्शन, ज्ञान – विज्ञान कला – कौशल, योग, संगीत, शिल्प, मर्यादा, लोक – आचरण आदि मानव – जीवन के लौकिक एवं पारलौकिक उत्थान के लिए उपयोगी सभी सिद्धान्तों एवं उपदेशों का अद्भुत वर्णन किया गया है।
ऋग्वेद की 21 शाखा, यजुर्वेद की 101 शाखा, सामवेद की एक हजार शाखा और अथर्ववेद की नौ शाखा – इस प्रकार कुल 1 हजार 131 शाखाएं हैं।
-परन्तु वर्तमान में 1 हजार 131 शाखाओं में से सिर्फ 12 शाखाएं ही मूल ग्रन्थों में हैं।
-ऋग्वेद की 21 शाखाओं में से केवल 2 शाखाओं के ही ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
-कृष्ण यजुर्वेद की 86 शाखाओं में से सिर्फ 4 शाखाओं के ही ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
-शुक्ल यजुर्वेद की 15 शाखाओं में से सिर्फ दो शाखाओं के ही ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
-सामवेद की 1 हजार शाखाओं में से केवल दो शाखाओं के ही ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
-अथर्ववेद की 9 शाखाओं में से केवल 2 शाखाओं के ही ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
-इन 12 शाखाओं में से सिर्फ 6 शाखाओं की अध्ययन – शैली ही उपलब्ध है।
-अथर्ववेद की 9 शाखाएं थी, किन्तु उसमें से सिर्फ शौनक शाखा की संहिता उपलब्ध है। पैप्पलाद संहिता भी आधी अधूरी उपलब्ध है। शेष संहिता उपलब्ध नहीं हैं।
-मुगलों, अंग्रेजों, विधर्मियों और वाममार्गियों ने हमारी बौद्धिक सम्पदाओं को खूब नष्ट – भ्रष्ट किया है।