पड़ोसी देश चीन लगातार सीमा पर घूसपैंठ कर रहा है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में मिसाइलों, वायु रक्षा हथियारों की खरीद को मंजूरी दी गई है। अधिकारियों से मिली जानकरी के अनुसार, स्वदेशी हेलीकॉप्टर-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, वायु रक्षा हथियार खरीदने और अपने युद्धपोतों को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस करने के लिए 4,276 रुपये करोड़ के सेना और नौसेना के कुल 3 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। उन्होंने बताया कि, उत्तरी सीमाओं (LAC) के साथ हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए प्रभावी वायु रक्षा (एडी) हथियार प्रणालियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जो मानव पोर्टेबल हैं। साथ ही ऊबड़-खाबड़ इलाकों व समुद्री क्षेत्र में जल्दी तैनात किए जा सकते हैं।
ये बताया अधिकारियों ने
अधिकारियों से मिली सूचना के अनुसार, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, हेलिना को एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) के साथ एकीकृत किया जाएगा और यह सात किमी दूर तक लक्ष्य को भेद सकती है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीएसी, जो भारत की शीर्ष खरीद संस्था है, ने फायर एंड फॉरगेट हेलिना मिसाइल, लॉन्चर और संबंधित सहायक उपकरण के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) को स्वीकार किया।
एक बयान में कहा गया कि ये मिसाइल दुश्मन का मुकाबला करने के लिए ALH के शस्त्रीकरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसे शामिल करने से भारतीय सेना की आक्रामक क्षमता मजबूत होगी। भारत के रक्षा खरीद नियमों के तहत, परिषद की ओर से एओएन सैन्य हार्डवेयर खरीदने की दिशा में पहला कदम है।
रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जिन हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाया है, उनकी लंबी सूची में हेलीकॉप्टर लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल भी है। भारत ने पिछले दो वर्षों के दौरान 411 विभिन्न हथियारों और प्रणालियों पर चरणबद्ध आयात प्रतिबंध लगाया है। इनके अगले पांच से छह वर्षों में चरणों में स्वदेशी होने की उम्मीद है।
हथियारों के लिए मंजूरी
हेलिना मिसाइलों, बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) और ब्रह्मोस लांचर और अग्नि नियंत्रण प्रणाली (एफसीएस) को डीएसी की मंजूरी रक्षा खरीद नीति के तहत स्वदेशीकरण के लिए अधिग्रहण की सबसे महत्वपूर्ण श्रेणी के तहत है।
चीनी सीमा पर जारी है गतिरोध
गौरतलब है कि, भारत और चीन के बीच मई 2020 से सीमा गतिरोध चल रहा है। बीते दिसंबर के महीने में भी अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों में झड़प हुई थी। ऐसे में सेना तेजी से चीन के साथ सीमा पर अपनी क्षमता को एडवांस कर रही है, जिसमें आर्टिलरी गन, स्वार्म ड्रोन सिस्टम सहित विभिन्न प्रकार के हथियार, लंबी दूरी के रॉकेट, दूर से संचालित हवाई प्रणाली और उच्च-गतिशीलता संरक्षित वाहन शामिल हैं।