इन्दौर 3 जून। जिसके सिर पर मालिक या गुरु का हाथ होता है उसे कोई डुबा नहीं सकता। इसी तरह संसार के दलदल में फंसे मनुष्य के सिर पर भी किसी गुरु का हाथ होना चाहिए। गुरु सदैव निष्पक्ष भाव रखते हैं। आप जिस चीज में आसक्ति रखोगे उसकी उसी रूप में उत्पत्ति होती है। किसी के प्रति राग होना ही कर्म बंध होता है। इसलिए कर्म बंध काटने के लिए जिस वस्तु के प्रति राग होता है उसका त्याग करना चाहिए। उक्त विचार श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं श्री शीतलनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ (द्वारकापुरी) द्वारा नार्मदीय ब्राह्मण धर्मशाला में आचार्यदेव श्री प्रेम सूरीश्वरजी मसा की 56वीं पुण्यतिथि पर आयोजित गुणानुवाद सभा में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीरश्वरजी मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि प्रवचन के पूर्व आचार्यश्री कुलबोधि के सान्निध्य में सभी श्रावक-श्राविकाओं ने प्रेम सूरीरश्वरजी मसा को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। आचार्यश्री के साथ ही प्रेम सुरिश्वर जी के बारे में जैन संत जिनागम विजय जी ने संस्कृत में लब्धि दर्शन, विजय जी ने गुजराती में, ज्ञान रुचि विजय जी ने अंग्रेजी में तथा ज्ञानबोधि विजय जी ने हिंदी में अपने विचार भी व्यक्त किए।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि मंगलवार 4 जून को अन्नपूर्णा रोड़ स्थित देवेंद्र नगर में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीरश्वरजी मसा सही दिशा में कदम विषय पर सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। वहीं इसी के साथ 5 से 9 जून तिलक नगर श्रीसंघ, 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।