राज राठौर
इंदौर – आज़ादी मिलें 70 साल से भी ज़्यादा हो चुके है परंतु दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में आज भी धर्म के नाम पर दंगे ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के खरगोन ज़िले में हुई घटना के बारे में। नवरात्रि त्योहार के नौवें और आख़री दिन रामनवमी मनाई जाती है , देश भर में रामनवमी के पर्व पर जुलूस निकाला जाता है। मध्यप्रदेश के खरगोन ज़िले में भी रामनवमी के पर्व पर जुलूस निकाला जाने वाला था, इस बात की जानकारी सभी लोगों को थी। जुलूस के निकलने से पहले ही दंगाइयो ने पूरी तैयारी कर ली थी।
जुलूस के नज़दीक आते ही मासूमों पर पत्थर और पेट्रोल बम बरसाए गए , इनका दोष सिर्फ़ इतना ही था की इन लोगों ने मुस्लिम बस्ती के पास से जुलूस निकाला। सवाल ये उठता है कि – मुहर्रम पर निकाली जाने वाली ताजिया पर तो कभी हिंदू भाई-बहनो ने पत्थर नहीं बरसाए ?
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देश की युवा पीढ़ी को ये क्या दिखाया समझाया और सिखाया जा रहा है , जिन हाथों में देश का भविष्य है उन हाथों में ये तलवार और पत्थर किस बात के लिए थमा दिए गए है और इन सबका ज़िम्मेदार कौन है ?
इन जाहिल दंगाइयो के लिए अब क्या ही बोलें जो भगवान समान डॉक्टर और भगवे दोनो पर पत्थरबाज़ी करते है, ये हमारे भाई नहीं ये तो दंगाई है।
अब इन दंगाइयो को पत्थर का जवाब जेसीबी से मिलेगा , जिस घर से पत्थर बरसाए वो अब पत्थरों का ढेर हो जाएँगे, प्रभु राम इन्हें ऐसा सबक़ सिखाए की इनकी साथ पुश्तें याद रखें कि भगवे का अपमान करने का क्या नतीजा होता है।