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राज – काज : अमित शाह के दौरे के दौरान के ये दिलचस्प वाक्य
दिनेश निगम ‘त्यागी’ अमित शाह का भोपाल दौरा किसी मेगा शो से कम नहीं था? इस दौरान कुछ दिलचस्प वाक्य भी हुए, जिनकी चर्चा लोगों की जुबान पर है। जैसे,
मुसलमानों के अधिकारों की लड़ाई क्या हिंदू लड़ेगा ?
श्रवण गर्ग हुकूमत अगर बहुसंख्यक वर्ग के कट्टरपंथी दंगाइयों के साथ खड़ी नज़र आती हो तो लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों की रक्षा की ज़िम्मेदारी किसे निभानी चाहिए ? असग़र वजाहत एक
सत्य के साथ सामाजिक दायित्व का निर्वाह भी करती है पत्रकारिता
प्रवीण कक्कड़ एक जमाने में कहा जाता था कि भारतीय समाज में 3 सी सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। सिनेमा, क्रिकेट और क्राइम। लेकिन आज के सार्वजनिक संवाद को देखें तो
एक अनुष्ठान, जो आंदोलन बन गया
राजेश बादल पिछले सप्ताह तीन दिन देश की हिंदी पत्रकारिता के बड़े घराने इंदौर में बीते। इस घराने से शानदार संपादक निकले। राहुल बारपुते, राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी, शरद जोशी
इन हिंसक भीड़ों पर नियंत्रण ज़रूरी हो गया है !
श्रवण गर्ग धर्म की रक्षा के नाम पर हिंसक भीड़ों के जो समूह सड़कों पर लगातार बढ़ते जा रहे हैं उन पर नियंत्रण क़ायम करने का क्षण आ पहुँचा है।इस
राज-काज : इस तहजीब से सबक लेंगे नफरत के सौदागर
दिनेश निगम ‘त्यागी’ जल्दी भारत की दो तस्वीर देखने को मिल गई। एक, रामनवमी पर खरगोन सहित देश के कई हिस्सों में दंगे हुए। हनुमान जयंती पर दिल्ली में दंगा
राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी : शिवराज मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के बाद सिलावट एक अलग अंदाज में हैं
अरविंद तिवारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बहुत नजदीकी माने जाने वाले प्रदेश के कुछ कैबिनेट मंत्री यह जानने में लगे हुए हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि
अपन के गुरदेव तो बजरंगी हैं!
जयराम शुक्ल रामकथा की पोथी-पोथन्ना रचने वाले गोस्वामीजी के लिए बजरंगबली देवता, ईश्वर नहीं, बल्कि गुरु हैं। तो उन्हीं की देखादेखी अपन ने भी बजरंगबली को गुरुदेव मान लिया। वास्तव
क्या पत्रकारिता वाकई ‘पेन प्रस्टीट्यूट’ बन गई
जयराम शुक्ल भारत में पहले अखबार ‘बंगाल गजट’ का निकलना एक दिलचस्प घटना थी। वह 1780 का साल था ईस्ट इंडिया कंपनी वारेन हेस्टिंग के नेतृत्व में मजबूती के साथ
दंगों के बीच खरगोन में नए कैराना की तलाश ?
श्रवण गर्ग सात करोड़ की आबादी वाले शांतिप्रिय मध्य प्रदेश में भी क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर किसी कैराना की तलाश की जा रही है और मीडिया इस
राज-काज : शराबबंदी के बाद उमा के जलाभिषेक से संकट
दिनेश निगम ‘त्यागी’ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(CM Shivraj Singh Chauhan) फुलफार्म में हैं और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती(Uma Bharti) फार्म में आने की कोशिश में। शराबबंदी को लेकर उमा पहले से ही
राजेंद्र माथुर को याद करना ज़रूरी हो गया है
श्रवण गर्ग पत्रकारिता के एक ऐसे अंधकार भरे कालखंड जिसमें एक बड़ी संख्या में अख़बार मालिकों की किडनियाँ हुकूमतों द्वारा विज्ञापनों की एवज़ में निकाल लीं गईं हों ,कई सम्पादकों
भारतीय राजनीति के अपराधीकरण से महंतीकरण तक
जयराम शुक्ल मध्यप्रदेश के दिग्गज राजनेता निवास तिवारी ने एक बार कहा था- चुनावी लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक पहले एक वोटर है, इसके पश्चात ही अपराधी या हरिश्चंद्र का औतार।
राज-काज : दाद देने लायक शराबबंदी पर उमा की हुंकार
दिनेश निगम ‘त्यागी’ भाजपा नेत्री साध्वी उमा भारती शराबबंदी को लेकर फिर चर्चा में हैं। अपनी ही भाजपा सरकार की शराब नीति पर फिर उन्होंने तीखा हमला बोला है। उन्होंने
राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी : आंखों के तारे कहे जाने वाले ये दोनों मंत्री अब मुख्यमंत्री की गुड लिस्ट में नहीं हैं
अरविंद तिवारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सुहास भगत को भाजपा से वापस बुलाने के साथ ही मध्य प्रांत के लिए बौद्धिक प्रमुख का दायित्व तो सौंपा, लेकिन मुख्यालय जबलपुर कर
भेड़िए हाँक रहे भेड़ों के काफिले
जयराम शुक्ल हाल ही हमारे आसपास घटी दो घटनाएं किसी भी विवेकी व्यक्ति को विचलित कर देने वाली हैं। पहली- रामकथा का प्रवचन करने आए एक महंत जी व्यासगादी में
सुनी सुनाई : रिश्वत को लेकर स्पेशल डीजी का ट्वीट
रवीन्द्र जैन मप्र के पुलिस के स्पेशल डीजी कैलाश मकवाना (DG Kailash Makwana) का रिश्वत को लेकर इस सप्ताह किया गया ट्वीट काफी चर्चा में है। मकवाना ने ट्वीट किया है
राज-काज : नेतृत्व का मिला फ्री हैंड, फुल फार्म में शिवराज
दिनेश निगम ‘त्यागी’ मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर विराम लग गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(CM Shivraj Singh Chauhan) की कार्यशैली को देखकर लगने लगा है कि उन्हें भाजपा
ज्यों की त्यों धर दीन्ही चदरिया
राजेश ज्वेल कबीर के भजन झिनी-झिनी बीनी चदरिया की जो अंतिम पंक्ति है, वह मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान पर सार्थक नजर आती है। ज्यों की त्यों धर दीन्ही चदरिया वाकई शिवराज
शिवराज सिंह इसीलिए तो मेहरबान है अपने सपनों के शहर पर
कीर्ति राणा कोरोना कहर के दौरान जब पूरी दुनिया में कामकाज ठप था तो इंदौर कैसे दौड़ सकता था लेकिन जब कोरोना की पहली-दूसरी लहर का असर कम होने के