संघर्ष और आगे बढ़ने की ललक ही हमें बनाती है विजेता – नलिनानंद गिरी महाराज

mukti_gupta
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इंदौर। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनजागृति अभियानों का असर है कि हम आज विश्वगुरु बनने के अपने सपने को पूरा कर पा रहे है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी शपथ में कहा था कि मैं आधा पानी से भरे गिलास को खाली नहीं समझता हूं मैं उसमें आधा पानी और आधी वायु भरी हुई देखता हूं। इसी तरह की सोच की आज हमारे समाज को भी जरूरत है। हमें सोच के साथ जिंदगीं में से खाली शब्द को हटाना होगा। तभी हम सही हर क्षेत्र में विजेता बन सकते है। यह बात मुख्य वक्ता इंटरनल वॅायस के संस्थापक नलिनानंद गिरी महाराज ने इंडेक्स समूह संस्थान के विद्यार्थियों से कहीं।

भारतीय मूल वॅाशिंगटन (अमेरिका) नलिनानंद गिरी महाराज 63 देशों में सेवा प्रकल्प चला रहे है। इंडेक्स समूह और मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा वंदे मातरम् मिशन के अंतर्गत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। नलिनानंद गिरी महाराज ने मालवांचल यूनिवर्सिटी, इंडेक्स समूह संस्थान के साथ माउंट इंडेक्स इंटरेशनल स्कूल के छात्रों को संबोधित किया। मप्र के सबसे बड़े मेडिकल एजुकेशन समूह इंडेक्स समूह और मालवांचल यूनिवर्सिटी की ओर से मालवांचल यूनिवर्सिटी के कुलपति एन के त्रिपाठी,डायरेक्टर आर एस राणावत ,एडिशनल डायरेक्टर आर सी यादव उपस्थित थे। मालवांचल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॅा.एम क्रिस्टोफर,एडिशनल रजिस्ट्रार डॅा.वी.के. सिंह, इंडेक्स मेडिकल कॅालेज डीन डॅा.जीएस पटेल उपस्थित थे। इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया,वाइस चेयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया ने पूरी टीम की सराहाना की।

दूसरो की जय से पहले अपनी जय हो

नलिनानंद गिरी महाराज ने कहा कि आज दूसरों की जय से पहले हमारी जय होना चाहिए। विश्व विजेता बनने के लिए हर व्यक्ति को संघर्ष के दौर से गुजराना पड़ता है। तभी आप महात्मा बुद्ध की तरह महाराजों के महाराज बन सकते है। उन्होंने अमेरिका के बास्केटबॉल प्लेयर मैनुअल पॉल और उनके कोच की कहानी के जरिए विद्यार्थियों को जीवन में सोच की महत्ता के बारे में जानकारी दी। कोच ने मैनुअल पॅाल को एक नदी को देखकर उसके बारे में कुछ बताने को कहा। तब मैनुअल ने कोच से कहा कि नदी पत्थरों और कई मुसीबत से टकरा रही है लेकिन उसकी ऊर्जा इन थपेड़ों के साथ और बेहतर हो रही है।

नलिनानंद गिरी महाराज ने बताया कि हमारी जिंदगीं में नदी और पत्थरों की तरह ही है यहां हर दिन व्यथा हमें जीवन में कुछ बेहतर करने की प्रेरणा देती है। प्रेरणा किसी से भी मिल सकती है इसलिए आज मैं एक साधु मालवांचल यूनिवर्सिटी में आपके बीच आया हूं। उन्होंने एक शायरी के जरिए बताया कि उलफत कहीं से ढूंढ कर लाई नहीं गई ये आग खुद लगाई नहीं गई है। एक बूंद से प्यास कैसे बूझेगी जिसकी दरिया से प्यास बूझी नहीं। इसी तरह आप की जिंदगी में विश्व विजेता बनने की ललक होना चाहिए। तभी आप संघर्षों से आगे निकलकर कुछ बेहतर कर सकते है।

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उन्होंने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर 29 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। देश में पराली जलाने से बढ़ रहे वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे। इन दिनों हवा,पानी के साथ वैचारिक प्रदूषण से मुक्ति के लिए अभियान चला रहे है। इस अवसर पर डीन डॅा.सतीश करंदीकर,डॅा.रेशमा खुराना,डॅा. स्मृति जी सोलोमन,डॅा.सुधीर मौर्या,डॅा.सुपर्णा गांगुली आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में आभार इंडेक्स मेडिकल डीन डॅा.जीएस पटेल ने माना। कार्यक्रम असिस्टेंट रजिस्ट्रार डॅा.राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुआ। संचालन डॅा.अदिति सिंघल,डॅा.संजय मंडलोई और स्वप्निल थेरगांवकर ने किया।