कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर के खिलाफ 9 अगस्त 2024 से धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे 21 सितंबर से काम पर लौटेंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार और जूनियर डॉक्टरों के बीच हुई बातचीत के परिणामस्वरूप हड़ताल समाप्त की गई है। सरकार ने डॉक्टरों की कई मांगों को स्वीकार किया, जिससे उनके आंदोलन को एक नई दिशा मिली है।
41 दिनों की हड़ताल का प्रभाव
जूनियर डॉक्टर्स मोर्चा ने कल अपनी हड़ताल वापस लेने का फैसला किया। 41 दिनों की हड़ताल के बाद, डॉक्टर अब शनिवार से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सहायता कार्य करने के लिए वापस लौटेंगे।
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने अपने आंदोलन के दौरान कई महत्वपूर्ण चीजें हासिल की हैं, लेकिन कई मुद्दे अभी भी अधूरे हैं। जूनियर डॉक्टर अकीब ने बताया कि उन्होंने पुलिस कमिश्नर और अन्य अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की है, लेकिन यह उनकी लड़ाई का अंत नहीं है।
डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि वे ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे, लेकिन आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में आंशिक रूप से कार्य करेंगे। वे स्वास्थ्य भवन से सीजीओ कॉम्प्लेक्स तक एक रैली आयोजित करेंगे और सरकार द्वारा किए गए वादों का पालन होने तक इंतजार करेंगे।
जूनियर डॉक्टरों की प्रमुख मांगें
जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल के दौरान निम्नलिखित पांच प्रमुख मांगें रखीं:
- रेप और मर्डर के साक्ष्यों को नष्ट करने वाले लोगों की जवाबदेही तय की जाए।
- पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
- कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल और स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम के इस्तीफे की मांग की जाए।
- स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बेहतर सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाए।
- सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में धमकी की संस्कृति को समाप्त किया जाए।
18 सितंबर को दूसरे दौर की बातचीत के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने से इनकार कर दिया था। स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम के हटाने की मांग पर डॉक्टर अड़े थे। 16 सितंबर को ममता बनर्जी के साथ मीटिंग में कुछ मांगें मान ली गई थीं, जिसमें चार अधिकारियों के हटने की भी बात शामिल थी।
इस तरह, जूनियर डॉक्टरों की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, और वे अपनी मांगों को लेकर सतर्क रहेंगे।