मध्यप्रदेश के नवागत मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव हाल ही में प्रदेश के सबसे छोटे और नए जिले पांढुर्णा के कौड़िया और पाठई ग्रामवासियों से मिले तो यह साफ संदेश गया की उच्च शिक्षित मुख्यमंत्री के मन में सामाजिक न्याय की स्थापना की जबरदस्त ललक है। दरअसल आदिवासी बाहुल्य इन इलाकों में बसने वाले छोटे और सीमांत किसान लालफीताशाही से मुक्ति चाहते थे। उन्होंने अपनी समस्याओं को जब मुख्यमंत्री के सामने रखा तो मुख्यमंत्री ने बेहद आत्मीयता का उदहारण पेश करते हुए न केवल सबको सुना बल्कि यह घोषणा करने में बिल्कुल देरी नहीं दिखाई कि अब प्रदेश की जनता को पटवारियों के चक्कर नही लगाने पड़ेंगे,आवेदन करने के बाद पटवारी को खुद ही नामांतरण करना पड़ेगा।
मध्यप्रदेश में नई सरकार बनने के कुछ ही दिन बीते है लेकिन मुख्यमंत्री की कार्य शैली का प्रभाव आम जनता से लेकर प्रशासन तक में दिखाई पड़ रहा है। डॉ.मोहन यादव का मांस की दुकानों को लेकर पहला निर्णय बेहद संवेदनशील माना गया। भारत एक सात्विक और अहिंसा पसंद धर्मपरायण जनता का देश माना जाता है। यहां की परम्पराओं में सभी धर्मों में अद्भुत सामंजस्य और सद्भाव दिखाई देता है। जैन मुनि किसी सूक्ष्म प्राणी के जीवन बचाने को लेकर भी संवेदनशील होते है। ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के धार्मिक स्थलों के दर्शन करने जब श्रद्धालु दूर दराज से आते है तो यह प्राय: देखने में आता है की उन्हें छोटी मोटी गलियों से गुजरते हुए मांस की दुकानों के बीच से निकलने को मजबूर होना पड़ता है।
भारत जैसे देश में तो यह आत्म शांति और प्रभु दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के साथ किसी अपराध जैसा प्रतीत होता है। मुख्यमंत्री ने इस पर प्रतिबन्ध लगाकर पूरे देश के लिए नजीर पेश की है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया की किसी मांस विक्रेता का रोजगार संकट में न पड़े इसलिए उन्होंने प्रशासन को यह आदेश भी दिया की इसके लिए भवन निर्मित किये जाये और जब तब यह न हो जाये तब तक अस्थाई शेड बनाकर दिए जाएं।
इसके साथ ही सड़कों पर तेजी से बचते हुए डीजे न केवल ध्वनि प्रदूषण का कारण बन गए है बल्कि तेज आवाज की भयावहता बीमार व्यक्ति को परेशान करने वाली होती है। संगीत के नाम पर यह असंगत व्यवहार सभ्य समाज में मान्य नहीं हो सकता। जाहिर है ध्वनि यंत्रों को लेकर दिए गए नए दिशा निर्देशों से विद्यार्थियों समेत सभी वर्गो के लोगों ने राहत की सांस ली होगी जो इसे भोगने और सहने के लिए मजबूत थे। नगरीय निकायों में भवन निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गया है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने बिल्डिंग परमिशन और कम्पाउडिंग के नियम और प्रक्रिया को सरल बनाने के निर्देश दिए है। साथ ही नगरीय निकायों से नक्शे जल्दी पास कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को भी कहा है।
सुशासन का उद्देश्य लोगों की बेहतरी पर आधारित है और यह सरकार के बिना लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं हो सकता है। सुशासन के अन्तर्गत बहुत सी चीजें आतीं हैं जिनमें अच्छा बजट, सही प्रबन्धन,कानून का शासन,सदाचार इत्यादि। सुशासन की प्रमुख विशेषताओं में भागीदारी,आम सहमति,जवाबदेही,पारदर्शी,उत्तरदायी,प्रभावी एवं कुशल, न्यायसंगत और समावेशी होने के साथ-साथ कानून के शासन का शामिल है। भारत में इन सबका मजबूत स्तम्भ विकेंद्रीकरण को माना जाता है। विकेंद्रीकरण उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसमें केंद्रीय अधिकारी निर्णय लेने की शक्ति अधीनस्थों को हस्तांतरित करते हैं।
सरल शब्दों में,यह वह रणनीति है जिसे एक संगठन अपनाता है जिसमें शीर्ष स्तर का प्रबंधन मध्य और निचले स्तर के प्रबंधन को शक्ति सौंपता है। विधानसभा के सत्र के पहले दिन ही मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने यह संदेश दिया की सरकार का प्रयास है कि प्रशासन का विकेंद्रीकरण हो,अर्थात जिले पर जिला स्तरीय,संभाग पर संभाग स्तरीय और प्रदेश स्तर पर प्रदेश स्तरीय इकाई, विकास गतिविधियों के क्रियान्वयन में योगदान दें। इससे स्पष्ट है की अंतिम व्यक्ति के पास सत्ता की शक्ति के संचालन के अवसर होंगे और इससे बेहतर विकास सुनिश्चित होगा।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सुशासन दिवस मनाया जाता है। उन्होंने सामाजिक न्याय स्थापित करने की अवधारणा के अनुरूप उल्लेखनीय कार्य करते हुए विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना अंत्योदय अन्न योजना,किसान क्रेडिट कार्ड योजना,पूरे देश को आपस में जोड़ने की स्वर्णिम चतुर्भुज योजना और ग्रामीण बस्ती को पक्की तथा बारह मासी सड़कों से जोड़ने की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू कर भारत के बेहतर भविष्य की संभावनाएं जगाई। मध्यप्रदेश के नये मुखिया डॉ.मोहन यादव ने बहुत ही कम समय में स्वर्णिम शुरुआत करते हुए सामाजिक न्याय की स्थापना की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाएं है,यह सुखद संकेत है।