Shash Rajyog : वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि को कर्म, न्याय और अनुशासन का ग्रह माना गया है। अक्सर लोग शनि को केवल कष्ट और संघर्ष देने वाला ग्रह मानते हैं लेकिन यह आधा सच है। शनि जब शुभ स्थिति में होते हैं तो जातक को अद्भुत सफलता और मान सम्मान प्रदान करते हैं। इन्हीं में से एक है शश राजयोग। जिसे पंच महापुरुष योग में से एक माना जाता है।
शश राजयोग शनि ग्रह के कारण बनने वाला शुभ योग है, जब शनि केंद्र भाव यानी प्रथम, चौथे, सातवें या फिर दसवीं भाव में स्थित है या अपनी स्वयं की राशि मकर-कुंभ अथवा उच्च राशि तुला में बैठे हो, तब शक्तिशाली राजयोग का निर्माण होता है।
राजयोग का असर
इस योग से जातक के जीवन में राजसी- वैभव, धन और सत्ता की पकड़ मजबूत होती है। जब शनि अकेले बैठे हैं और किसी अन्य ग्रहों के दृष्टि ना हो। तब इस राजयोग का असर देखा जाता है। शनि अस्त या पराजित ना हो। लग्न में सूर्य और चंद्रमा मजबूत होने की स्थिति में इस राजयोग का लाभ मिलता है।
शश राजयोग का लाभ
राजनीति और प्रशासन में उच्च पद एवं सत्ता की प्राप्ति व्यापार और उद्योग में अपार सफलता करोड़पति अरबपति बनने की क्षमता अनुशासित आत्मविश्वासी और प्रभावशाली व्यक्तित्व भूमि-भवन-वाहन और संपत्ति का सुख समाज में मान सम्मान, लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता आध्यात्म- धर्म की ओर झुकाव पुण्य और न्याय प्रिय स्वभाव।
हालांकि इस राजयोग वाले जातक को जीवन की शुरुआती दौर में संघर्ष का सामना करना पड़ता है लेकिन उम्र बढ़ाने के साथ यह सफलता, धन और स्थिरता की प्राप्ति करते हैं। ऐसे लोग कर्म में विश्वास रखते हैं। धीरे-धीरे अपनी मेहनत से राजसी जीवन जीते हैं।