Mangesh Yadav IPL : क्रिकेट के मैदान पर प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती और न ही वह आर्थिक तंगी के आगे घुटने टेकती है. मध्य प्रदेश के पांढुर्ना जिले के एक छोटे से गांव बोरगांव से आने वाले मंगेश यादव ने इसे साबित कर दिखाया है. आईपीएल 2026 की नीलामी में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने इस युवा ऑलराउंडर पर बड़ा दांव खेला है. महज 30 लाख रुपये की बेस प्राइस वाले मंगेश को आरसीबी ने 5 करोड़ 20 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि देकर अपनी टीम में शामिल किया है.
मंगेश यादव की यह सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि वह बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं. उनके पिता पेशे से एक ट्रक ड्राइवर हैं और उनका परिवार आज भी महज 1200 रुपये महीने के किराए वाले एक कमरे में रहता है. अब आईपीएल में चयन होने के बाद इस परिवार की किस्मत पूरी तरह बदल गई है.
17 गुना ज्यादा मिली कीमत
आईपीएल नीलामी में मंगेश यादव को लेकर फ्रेंचाइजी के बीच काफी दिलचस्पी देखी गई. उनकी बेस प्राइस 30 लाख रुपये थी, लेकिन उनकी बोली बेस प्राइस से करीब साढ़े 17 गुना ज्यादा यानी 5.20 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. अंततः रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने बाजी मारी. अब जबलपुर संभाग का यह खिलाड़ी जल्द ही दिग्गज विराट कोहली के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करता और मैदान पर खेलता नजर आएगा.
सटीक यॉर्कर ने खींचा ध्यान
महज 23 साल के मंगेश यादव बाएं हाथ के तेज गेंदबाज और ऑलराउंडर हैं. पूरे टूर्नामेंट के दौरान वह अपनी गति और नियंत्रण के कारण स्काउट्स की नजरों में बने रहे. विशेष रूप से मैच के अंतिम ओवरों (डेथ ओवर्स) में लगातार सटीक यॉर्कर फेंकने की उनकी क्षमता ने उन्हें आईपीएल फ्रेंचाइजी का चहेता बना दिया.
हाल ही में संपन्न हुई मध्य प्रदेश टी20 लीग में मंगेश सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बनकर उभरे थे. उन्होंने ग्वालियर चीताज के लिए खेलते हुए 21 ओवर में 14 विकेट चटकाए थे. इसी प्रदर्शन ने उनके लिए आईपीएल के दरवाजे खोले.
पढ़ाई छोड़ी, नोएडा जाकर संवारा खेल
मंगेश को बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था. इस जुनून के चलते उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पूरी तरह क्रिकेट को समर्पित हो गए. अपने खेल को निखारने के लिए वह मध्य प्रदेश से नोएडा चले गए थे, जहां उन्होंने कड़ी मेहनत की.
दरियादिली के लिए भी हैं मशहूर
मंगेश सिर्फ एक बेहतरीन खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान भी हैं. स्थानीय टूर्नामेंट्स के दौरान उन्हें जो भी नकद पुरस्कार मिलते थे, वे अक्सर ग्राउंड स्टाफ और कर्मचारियों को दे दिया करते थे. वह अपने घर सिर्फ ट्रॉफी लेकर जाते थे.
एक वाकये के मुताबिक, छिंदवाड़ा में आयोजित सांसद कप में उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ के रूप में एक रेसर साइकिल मिली थी. उन्होंने वह महंगी साइकिल भी ग्राउंड में काम करने वाले कर्मचारियों को दान कर दी थी. अब उनके आईपीएल में चयन की खबर से उनके गृह नगर बोरगांव और पूरे पांढुर्ना जिले में खुशी का माहौल है.










