SpaceX ने ISRO का संचार उपग्रह GSAT-N2 सफलतापूर्वक किया लॉन्च, जानें इसके बारे में सबकुछ

srashti
Published on:

हाल ही में, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने फ्लोरिडा के कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के जीसैट-एन2 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह प्रक्षेपण इसरो और स्पेसएक्स के बीच एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक सहयोग की शुरुआत का प्रतीक है। इस मिशन में स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने जीसैट-एन2 को एक सटीक कक्षा में स्थापित किया। इसरो की वाणिज्यिक शाखा, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने इस प्रक्षेपण की सफलता की जानकारी दी।

प्रक्षेपण का समय और प्रक्रिया

जीसैट-एन2 का प्रक्षेपण भारतीय समयानुसार रात 12:01 बजे हुआ। लॉन्च के लगभग 34 मिनट बाद उपग्रह रॉकेट से अलग हो गया और निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। उपग्रह का वजन लगभग 4,700 किलोग्राम था, और इसे 14 साल के मिशन के लिए डिज़ाइन किया गया था। यह उपग्रह संचार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत में और विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

उपग्रह की विशेषताएँ और तकनीकी क्षमता

जीसैट-एन2 (जिसे जीसैट-20 भी कहा जाता है) एक अत्याधुनिक संचार उपग्रह है, जिसे इसरो के सैटेलाइट सेंटर और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह उपग्रह Ka-बैंड हाई थ्रूपुट सैटेलाइट (HTS) पेलोड से लैस है, जो उपग्रह की डेटा ट्रांसमिशन क्षमता को बढ़ाता है।

डेटा ट्रांसमिशन क्षमता: जीसैट-एन2 उपग्रह की 48 Gbps की डेटा ट्रांसमिशन क्षमता है, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली संचार सेवाएँ प्रदान करने में सहायक होगी।
यूजर बीम: इस उपग्रह में 32 यूजर बीम हैं, जिसमें से 8 संकीर्ण स्पॉट बीम पूर्वोत्तर भारत में और शेष 24 चौड़े स्पॉट बीम पूरे भारत में फैले हुए हैं। इन बीमों को प्रमुख भारत स्थित हब स्टेशनों के माध्यम से समर्थन मिलेगा।

स्पेसएक्स का चयन क्यों?

इसरो के लिए भारी पेलोड प्रक्षेपण के लिए पारंपरिक रूप से एरियनस्पेस के साथ साझेदारी की जाती रही है, लेकिन इस बार एरियनस्पेस के रॉकेट की अनुपलब्धता और इसरो के एलवीएम-3 प्रक्षेपण यान की 4,000 किलोग्राम पेलोड सीमा को ध्यान में रखते हुए, इसरो ने स्पेसएक्स से सहयोग करने का निर्णय लिया। स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट की पेलोड क्षमता उपयुक्त थी और इसने जीसैट-एन2 को सफलतापूर्वक प्रक्षिप्त किया।