एमपी के सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत, आयुष्मान योजना का जल्द मिलेगा लाभ, जानें क्या है डेडलाइन

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By Raj RathorePublished On: September 19, 2025

प्रदेश के सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी पिछले कई वर्षों से कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, पिछले पांच सालों से आयुष्मान स्वास्थ्य योजना में कर्मचारियों को शामिल करने की भी निरंतर मांग रही है। इसके बावजूद, कर्मचारियों और पेंशनर्स को अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है। कर्मचारियों का कहना है कि इससे उनके स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ रहा है और गंभीर बीमारी की स्थिति में तत्काल राहत मिलना कठिन हो रहा है।

कमेटी बन गई, पर लाभ अब तक नहीं मिला

सरकारी कर्मचारियों को 5 से 10 लाख रुपये तक इलाज की सुविधा देने की घोषणा की गई थी। इस दिशा में 9 फरवरी 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी का उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा लागू करने के लिए नियम और प्रक्रिया तय करना था। हालांकि, 18 महीने बीत जाने के बावजूद भी कर्मचारियों को लाभ देने संबंधी आदेश जारी नहीं किए गए हैं। इस वजह से कर्मचारियों में निराशा का माहौल है और वे इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार से सवाल कर रहे हैं।

कर्मचारी संगठन कर रहे हैं लगातार मांग

कर्मचारी संगठन लगातार अधिकारियों और सरकार के सामने स्वास्थ्य बीमा की मांग रख रहे हैं। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि 2019 से तीन बार स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अब तक इसका लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल पाया। पिछले साल भी सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को अन्य राज्यों में लागू आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा की तरह 5 से 10 लाख रुपये तक इलाज की सुविधा देने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक कोई आदेश नहीं आया है।

मप्र शासकीय वाहन चालक यांत्रिकी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष साबिर खान ने भी बताया कि सरकारी कर्मचारियों को बीमा का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि घोषणा होने के बावजूद कई बार अधिकारियों से मिलने और आवेदन देने के बाद भी कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली है।

क्यों जरूरी है कैशलेस स्वास्थ्य बीमा

कर्मचारी लगातार कैशलेस स्वास्थ्य बीमा की मांग इसलिए कर रहे हैं ताकि गंभीर बीमारी होने पर तुरंत इलाज कराया जा सके। वर्तमान में कर्मचारियों को जो चिकित्सा सुविधा दी जाती है, उसमें लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। बीमार होने पर कर्मचारियों को बिल और डॉक्यूमेंटेशन जमा करना पड़ता है, विभागीय अनुशंसा लेनी पड़ती है और इसके बाद ही पैसा वापस मिलता है।

इस प्रक्रिया में कर्मचारियों को कई जगह चक्कर काटने पड़ते हैं और पहले अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि तत्काल रुपए न होने के कारण इलाज में देर हो जाती है और गंभीर स्थिति में कर्मचारियों और उनके परिवारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

कर्मचारियों की आशंका और लगातार प्रयास

कर्मचारियों का कहना है कि यदि कैशलेस स्वास्थ्य बीमा जल्द लागू नहीं किया गया तो गंभीर रोगों में तत्काल राहत नहीं मिल पाएगी। वे लगातार सरकार और संबंधित अधिकारियों से इस योजना को लागू करने की मांग कर रहे हैं ताकि स्वास्थ्य संबंधी संकट में वित्तीय बोझ कम हो और समय पर इलाज संभव हो। कर्मचारियों की मांग है कि योजना जल्द से जल्द लागू की जाए, ताकि सभी सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स इसका लाभ उठा सकें।