Sharadiya Navratri 2024 Day 9: नवरात्रि के नवें दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें व्रत, मंत्र, शुभ समय, विधि और महत्व

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Sharadiya Navratri 2024 Day 9: शारदीय नवरात्रि 2024 का पर्व धूमधाम से मनाया गया है। यह नौ दिन का पर्व देवी दुर्गा की आराधना का समय है, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। नवरात्रि के बाद विजयादशमी का पर्व आता है, जो इस उत्सव की समाप्ति को दर्शाता है।

Sharadiya Navratri 2024 Day 9: कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। इन दिनों कन्या पूजन का विधान है, जहां कुंवारी लड़कियों को घर बुलाकर उन्हें भोजन कराया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। यह परंपरा श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।

Sharadiya Navratri 2024 Day 9: नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष, नवरात्रि की नवमी तिथि 11 अक्टूबर 2024 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। नवमी तिथि देवी दुर्गा को समर्पित है और इसे बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन देवी के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है, साथ ही हवन का भी आयोजन होता है।

Sharadiya Navratri 2024 Day 9: नवरात्रि की तिथियाँ

  • सप्तमी तिथि: 9 अक्टूबर को सुबह 7:36 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर को सुबह 7:29 बजे तक।
  • अष्टमी तिथि: 10 अक्टूबर को सुबह 7:29 बजे से शुरू होती है।
  • नवमी तिथि: 11 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद सुबह 6:52 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:47 बजे तक रहेगी।

Sharadiya Navratri 2024 Day 9: हवन और पूजा का शुभ मुहूर्त

नवमी पर देवी दुर्गा की पूजा, हवन और कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है। इसके लिए कुछ शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • सुबह 6:19 से 7:47 बजे तक – सामान्य पूजा का समय
  • सुबह 7:46 से 9:13 बजे तक
  • सुबह 9:13 से 10:40 बजे तक – अमृत काल
  • दोपहर 12:07 बजे से 1:34 बजे तक – शुभ समय

इन शुभ मुहूर्तों में पूजा और हवन करना विशेष फलदायी माना जाता है। नवरात्रि का यह पर्व केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और प्रेम का भी प्रतीक है।

Sharadiya Navratri 2024 Day 9: माता सिद्धिदात्री का महत्व

माता सिद्धिदात्री का स्वरूप विशेष रूप से नौवें दिन की पूजा में महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्हें एक दिव्य शक्ति और मंगलकारी देवी के रूप में पूजा जाता है। उनकी आराधना से भक्तों को सिद्धियाँ और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। वे कमल पर विराजमान होती हैं, जो आध्यात्मिकता और पवित्रता का प्रतीक है। उनके चार हाथ हैं, जो विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। माता के निचले दाहिने हाथ में चक्र है, जो संहार और निर्माण का प्रतीक है। ऊपरी हाथ में गदा है, जो शक्ति और अधिकार को दर्शाता है। निचले बाएँ हाथ में शंख है, जो समृद्धि और धन का प्रतीक है, जबकि ऊपरी हाथ में कमल का फूल है, जो दिव्यता और सुंदरता का प्रतीक है।

माता को बैंगनी और लाल रंग बहुत प्रिय हैं। ये रंग शक्ति, उत्साह और प्रेम का प्रतीक होते हैं, जो माता के दिव्य स्वरूप के साथ जुड़ते हैं। एक मान्यता के अनुसार, माता सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया, जिससे वे अर्धनारीश्वर कहलाए। इस प्रकार, माता सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी एक रूप माना जाता है, जो ज्ञान और कला की देवी हैं। माता सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों को ज्ञान, समृद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है, और वे जीवन के सभी क्षेत्र में सफल होते हैं।