शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि के नाराज होने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता भी प्राप्त होती है। शनि देव की कृपा न हो तो कोई काम सफल नहीं हो पाता है ना ही शादी , ना ही संतान, और ना ही धन की प्राप्ति हो पाती है।
शनि का स्वभाव कठोर है, जिस वजह से शनिदेव के बुरे प्रभाव से लोग भयभीत रहते हैं। शनि देव के बुरे प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिए। वहीं शनि ग्रह का हर ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर होता है। साल 2021 में शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं है।
2022 में शनि मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। शनि गोचर का प्रभाव एक साथ पांच राशियों पर पड़ता है। शनि राशि परिवर्तन से कुछ राशियों पर शनि की साढ़े साती और कुछ राशियों पर शनि ढैय्या शुरू होती है। जानिए शनि गोचर कब होगा और किस राशि पर शनि की साढ़े साती होगी शुरू-
शनि राशि परिवर्तन:
29 अप्रैल 2022 को शनि राशि परिवर्तन करेंगे। शनि मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस दौरान शनि कुछ समय के लिए वक्री अवस्था में फिर से मकर राशि में गोचर करेंगे। शनि 12 जुलाई 2022 को वक्री अवस्था में मकर राशि में आएंगे और 17 जनवरी 2023 तक इसी राशि में रहेंगे। इसके बाद कुंभ राशि में चले जाएंगे।
इन राशियों पर शुरू होगी शनि की साढ़े साती:
शनि के कुंभ राशि में गोचर से मीन राशि पर शनि की साढ़े साती शुरू होगी। मीन राशि के स्वामी ग्रह देवगुरु बृहस्पति हैं। शनि के इनके साथ अच्छे संबंध होने से इस राशि वालों पर शनि की दशा का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही धनु राशि वालों को शनि की महादशा से छुटकारा मिल जाएगा। मकर और कुंभ राशि वालों पर भी शनि की साढ़े साती रहेगी।
शनि के बुरे प्रभाव से बचाव के उपाय:
वाद-विवाद से बचें।
वाहन चलाने में सावधानी बरतें।
इस दौरान यात्रा से बचें।
मांस या शराब के सेवन से बचें।