Sarva Pitru Shradh : सनातन हिंदू धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं और शास्त्रों के मुताबिक यमराज भी इन दिनों पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं। ताकि 16 दिनों तक वह अपने परिजनों के बीच रहकर अन्न और जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें। पितृपक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है जो 6 अक्टूबर को है। इस तिथि को अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या या मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है।
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इस बार सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर यानी बुधवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों के श्राद्ध का विधान है, जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद नहीं होती है तो वो भी इस दिन अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
6 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध की समाप्ति होगी। इस बार पितृगण सर्वार्थसिद्धि योग और महापुण्यदायी गजछाया योग में विदा होंगे। 6 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या के दिन कुमार योग भी लगेगा। बता दें कि सर्वपितृ श्राद्ध के दिन सभी पूर्वजों ज्ञात और अज्ञात पितृों का सामूहिक श्राद्ध किया जाता है।
गजछाया योग का महत्व:
ज्योतिषार्चों के मुताबिक अमावस्या की तिथि में सूर्य और चंद्रमा दोनों के हस्त नक्षत्र में होने से गजछाया नामक योग बनता है। इस योग को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। शास्त्रों में भी इस योग की बड़ी महिमा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन तीर्थ-स्नान, जप, ब्राह्मणों को भोजन करवाना, वस्त्रादि का दान देना और जप करने से पितृों को मुक्ति मिलती है और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें कि अमावस्या के दिन यह विशिष्ट योग सूर्योदय से शाम के करीब 4.35 तक रहेगा।
कन्या राशि में बनेगा चतुर्ग्रही योग:
सर्वपितृ अमावस्या के दिन कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। यह विशेष योग बेहद ही कम बनता है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र की नजर से यह दिन बेहद ही खास है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध ग्रह मिलकर कन्या राशि में चतुर्ग्रही योग बना रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अमावस्या के दिन ऐसा बेहद ही कम संयोग बनता है, जब सर्वार्थ सिद्धि योग, कुमार योग, गजछाया योग और चतुर्ग्रही योग एक साथ आएं। चतुर्ग्रही योग कन्या राशि वालों के लिए काफी शुभ होगा।
कुतप काल:
शास्त्रों में बताया गया है की कुतप काल में ही श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस काल में श्राद्ध करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का निवास होता है। इस दिन गौस ग्रास और पीपल पर जल-तिलांजलि करना शुभ माना जाता है। साथ ही शाम के समय दरवाजे पर दीपक भी जलाना चाहिए।
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