महादेव की कृपा चाहिए? सावन के अंतिम प्रदोष व्रत पर इन बातों का रखें खास ध्यान

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By Swati BisenPublished On: July 30, 2025
Pradosh Vrat 2025

श्रावण मास का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस पवित्र मास में जहां सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है, वहीं त्रयोदशी तिथि पर आने वाला प्रदोष व्रत भी अति शुभ और फलदायी माना गया है।

प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो विशेष रूप से प्रदोष काल में संपन्न होती है। श्रावण मास अब अपने अंतिम चरण में है और इसका अंतिम प्रदोष व्रत 6 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को शिव कृपा प्राप्त होती है और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। परंतु व्रत के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है, अन्यथा व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिल पाता।

क्या न करें सावन के अंतिम प्रदोष व्रत पर?

तामसिक भोजन से करें परहेज

व्रत के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा जैसी तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ये चीजें शरीर को असंतुलित करने के साथ-साथ व्रत की पवित्रता को भी भंग कर सकती हैं। ऐसे में केवल सात्विक भोजन या फलाहार करना उचित माना गया है।

नमक का करें सही चयन

व्रत के समय केवल सेंधा नमक का उपयोग करें। साधारण नमक का प्रयोग व्रत को अधूरा बना सकता है और इससे पुण्य का ह्रास हो सकता है।

रंगों का रखें ध्यान

शिव पूजा के समय गहरे रंग जैसे काला, नीला या अन्य भारी रंगों के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। हल्के और शांत रंग पहनना शुभ और प्रभावी माना जाता है।

कुछ विशेष चीजें न चढ़ाएं भगवान शिव को

शिव पूजन में तुलसी के पत्ते और केतकी के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, ये दोनों वस्तुएं शिव को प्रिय नहीं हैं। इनकी बजाय बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल आदि का प्रयोग करें, जो शिव पूजन में अत्यंत शुभ माने गए हैं।

शंख से जल अर्पण न करें

भगवान शिव को कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसका कारण यह है कि शिवजी ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था, जो बाद में शंख रूप में परिणत हो गया था।

दूसरों के प्रति आचरण रखें शुभ

व्रत के दिन किसी को भी खाली हाथ घर से बाहर न निकालें। किसी का अपमान, तिरस्कार या बुरा व्यवहार करने से व्रत का पुण्य कम हो सकता है। यथासंभव सभी से मधुरता और विनम्रता से पेश आएं।

मानसिक स्थिति भी होनी चाहिए शांत

व्रत केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक साधना भी है। अशांत या क्रोधित मन से की गई पूजा में श्रद्धा की कमी रहती है, जिससे फल की प्राप्ति नहीं हो पाती। इसलिए दिनभर मन को शांत, सकारात्मक और भक्तिपूर्ण बनाए रखें।

अन्न का करें त्याग

प्रदोष व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति पूर्ण उपवास नहीं कर सकता, तो फलाहार या दूध-जल का सेवन कर व्रत कर सकता है।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।