शिव जी को केतकी फूल चढ़ाना क्यों है वर्जित? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान!

भगवान शिव, जिन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केतकी का सुंदर और सुगंधित फूल शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता?

Kumari Sakshi
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शिव जी को केतकी फूल चढ़ाना क्यों है वर्जित? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान!

भगवान शिव, जिन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है, सादगी, तप और सच्चाई के प्रतीक हैं. शिवलिंग की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल और सफेद फूलों का विशेष महत्व होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केतकी का सुंदर और सुगंधित फूल शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता?

शास्त्रों में साफ तौर पर कहा गया है कि भगवान शिव को केतकी का फूल अर्पित करना वर्जित है, और इसके पीछे छुपी है एक पुरानी, रहस्यमयी और रोचक पौराणिक कथा, जानिए क्यों केतकी बना शिव की पूजा से निष्कासित…

केतकी और शिव – एक पौराणिक कथा
ये कथा शिवपुराण के अनुसार है। एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि सर्वोच्च देवता कौन है. तभी अचानक एक तेजस्वी अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ, जिसकी ऊंचाई और गहराई का कोई अंत नहीं था.

अग्नि स्तंभ की परीक्षा:
.ब्रह्मा जी उसे ऊपर तक खोजने गए,

.विष्णु जी नीचे की ओर उसकी जड़ें खोजने निकले कई युगों तक प्रयास करने के बाद विष्णु जी को स्तंभ का अंत नहीं मिला और उन्होंने हार मान ली. लेकिन ब्रह्मा जी ने छल किया…

केतकी बनी झूठ की गवाह
ऊपर उड़ते समय ब्रह्मा जी को केतकी का फूल मिला जो उस अग्नि स्तंभ से नीचे गिर रहा था. उन्होंने केतकी से कहा, “तुम गवाही दो कि मैंने स्तंभ का सिर देखा है.” केतकी फूल ने झूठ बोलकर गवाही दे दी. जब ब्रह्मा और केतकी नीचे लौटे और ब्रह्मा ने झूठ बोला, तो अग्नि स्तंभ के अंदर से भगवान शिव प्रकट हो गए — एक भयानक रूप में!

शिव जी का श्राप: केतकी को पूजा से निष्कासित
शिव जी ने ब्रह्मा जी को झूठ बोलने के कारण श्राप दिया कि “भविष्य में तुम्हारी पूजा नहीं की जाएगी.” और केतकी के फूल को श्राप दिया “तू झूठ की साक्षी बनी, इसलिए आज से तू मेरी पूजा में वर्जित रहेगी!”

शिव पूजा में केतकी क्यों नहीं चढ़ाई जाती?
झूठ की गवाही देने के कारण, शिव जी ने स्वयं उसे पूजा से निष्कासित किया, इसे अपवित्र माना गया आज भी केतकी को शिवलिंग पर चढ़ाना अशुभ और निष्फल माना जाता है.