क्या है हरतालिका तीज का महत्व, जानिए शुभ महूर्त, पूजा विधि

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By Pallavi SharmaPublished On: July 6, 2022

इस साल हरतालिका तीज व्रत 30 अगस्त को पड़ रहा है, हरतालिका तीज का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे तीजा व्रत भी कहते हैं। ये व्रत सुहागन महिलाए अपने पति की लंबी आयु व कुमारी कन्या द्वारा मनवांछित पति पाने की आस्था से रखा जाता है। शास्त्रों में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त:

क्या है हरतालिका तीज का महत्व, जानिए शुभ महूर्त, पूजा विधि

वैदिक पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय के साथ ही व्रत का संकल्प लिया जाएगा। इस बार पूजा के लिए लगभग 2 घंटे का शुभ मुहूर्त है। आपको बता दें कि इस दिन सुबह साढ़े छह बजे से लेकर 8 बजकर 32 मिनट तक पूजा की जा सकेगी। जबकि प्रदोष पूजा ज्योतिष पंचांग के अनुसार शाम के वक्त 6 बजकर 32 मिनट से लेकर रात को 8 बजकर 52 मिनट कर सकेंंगे। प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है।

हरतालिका तीज का महत्व:

शिव पुराण के अनुसार जब माता पार्वती के पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु के साथ तय कर दिया तो वे अपनी सेविका के साथ एक घने वन में चली गई जहां माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। ये देखकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे। साथ ही माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। क्योंकि उनकी सेविका ने उनका हरण करके उन्हें वैन में छुपाया था इसलिए इस व्रत का नाम हर तालिका पड़ा। मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को भोलेनाथ और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

हरतालिका व्रत की पूजा- विधि:

शास्त्रों के अनुसार यह पूजा प्रदोष काल में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही इस व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी से प्रतिमा बनाने का विधान है। साथ ही पूजा स्थल को फूलों से सजाकर। इन प्रतिमाओं को केले के पत्ने पर रखें और षोडशोपचार विधि से पूजा करें। माता पार्वती के समक्ष सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को पाचों वस्त्र अर्पित करें। साथ ही कुछ समय बाद यह सामान किसी ब्राह्मण को दे दें।