आज है शनिश्चरी अमावस्या, ऐसे करें शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के दुष्प्रभावों को दूर

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By Pinal PatidarPublished On: July 10, 2021
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शनिदेव को सभी ग्रहों में न्यायाधिपति कहा गया है,क्योंकि व्यक्ति के कर्मो के आधार पर यह फल प्रदान करते हैं। अच्छे कर्म करने पर शनिदेव अच्छा फल और बुरा कर्म करने वालों को बुरा फल देते हैं। ज्योतिष में शनि को सबसे धीमी चाल चलने वाला ग्रह माना गया है। यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लेते हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से हर कोई बचना चाहता है। इसके दुष्प्रभाव से जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं।

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जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या है उनके लिए आज का दिन बहुत ही विशेष हैं। आज शनिश्चरी अमावस्या है आज के दिन शनि की ढैय्या व साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों को शनि देव की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे कुंडली में शनि दोष कम होता है और अशुभ फल की प्राप्ति भी न के बराबर होती है इसलिए इस खास दिन इन लोगो के लिए विशेष महत्व रखता हैं।

शनि के चाल की अगर बात करें तो फिलहाल अभी मकर राशि में विराजमान हैं, ये इस राशि में 24 जनवरी 2020 से हैं। अब इसके बाद शनि 2022 को अपनी राशि बदलेंगे। शनि के राशि बदलने पर कुछ राशियों के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती आरंभ हो जाती है।

आज है शनिश्चरी अमावस्या, ऐसे करें शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के दुष्प्रभावों को दूर

शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार 10 जुलाई यानी आज शनिश्चरी अमावस्या का आगमन हो रहा है। इस दिन सुबह सूर्योदय के कुछ देर बाद ही अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है। ऐसे में कुंडली में शनि दोष कम करने के लिए इससे पूर्व ही शनिदेव की पूजा कर लेनी चाहिए। चलिए इस दौरान शुभ मुहूर्त पर एक नजर डाल लेते हैं ताकि आप भी सही समय पर पूजा अर्चना करके शनि के दुष्प्रभाव से बच सकें।

ऐसे करें भगवान शनि को प्रसन्न
जिन जातकों की राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या विराजमान है तो ऐसे में शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव से जुड़ी कुछ चीजों का दान कर सकते हैं। इसमें सरसों का तेल, काले तिल, काला छाता, काले कंबल, अंगूठी व अन्य काली वस्तुओं का दान करना उचित माना गया है।

आज है शनिश्चरी अमावस्या, ऐसे करें शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के दुष्प्रभावों को दूर

उनके प्रिय मंत्र के माध्यम से करें शनि को प्रसन्न

ऊँ शं शनैश्चाराय नमः

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः