कुंडली में राजयोग का रहस्य, जानें कैसे बनता है ये शुभ योग, कब देता है सफलता, धन और सम्मान का प्रभाव

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By Pinal PatidarPublished On: November 1, 2025
Rajyog 2025

ज्योतिष शास्त्र में राजयोग को बहुत ही शुभ और प्रभावशाली योग माना गया है। नाम से ही स्पष्ट है “राजयोग” यानी ऐसा योग जो व्यक्ति को जीवन में राजा जैसी समृद्धि, मान-सम्मान और सफलता प्रदान करता है। हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसकी कुंडली में कोई न कोई राजयोग जरूर बने, ताकि जीवन में तरक्की और स्थायित्व मिले। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुंडली में राजयोग तो बनता है, पर उसका फल व्यक्ति को नहीं मिलता। आखिर क्यों? आज हम इसी सवाल का जवाब और राजयोगों के अलग-अलग प्रकार को विस्तार से समझेंगे।

राजयोग क्या होता है?



राजयोग दरअसल कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थितियों और आपसी संबंधों से बनता है। जब शुभ ग्रह एक-दूसरे के साथ या केंद्र-त्रिकोण भावों में मिलकर बैठते हैं, तो वे व्यक्ति के भाग्य को चमका देते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में धन, प्रतिष्ठा, पद, सुख और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में कई प्रकार के राजयोग बताए गए हैं, जैसे पंच महापुरुष योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग, लक्ष्मी योग, राज-लक्ष्मी योग, परिजात योग, इत्यादि। आइए इन सबको एक-एक कर विस्तार से समझते हैं।

पंच महापुरुष राजयोग

यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है। यह तब बनता है जब बुध, बृहस्पति, शुक्र, मंगल या शनि में से कोई भी ग्रह अपनी स्वराशि या उच्च राशि में केंद्र भाव (1, 4, 7, 10) में स्थित होता है।

इनसे बने पाँच अलग-अलग योग इस प्रकार हैं
1. भद्र योग (बुध से) – जब बुध अपनी राशि (मिथुन या कन्या) में केंद्र में हो, तो यह योग बनता है। इससे व्यक्ति तार्किक, समझदार और व्यापार में सफल होता है।
2. हंस योग (गुरु से) – जब बृहस्पति अपनी राशि (धनु या मीन) में केंद्र में हो, तो यह योग बनता है। यह व्यक्ति को धार्मिक, ज्ञानी और समृद्ध बनाता है।
3. मालव्य योग (शुक्र से) – जब शुक्र अपनी राशि (वृषभ या तुला) में केंद्र में हो, तो यह योग बनता है। ऐसे लोग रचनात्मक, कलाप्रेमी और विलासिता से युक्त जीवन जीते हैं।
4. रूचक योग (मंगल से) – जब मंगल अपनी राशि (मेष या वृश्चिक) में केंद्र में हो, तो व्यक्ति साहसी, नेतृत्वकर्ता और शक्तिशाली बनता है।
5. शश योग (शनि से) – जब शनि अपनी राशि (मकर या कुंभ) में केंद्र में हो, तो व्यक्ति शासन, राजनीति या प्रशासन में बड़ा नाम कमाता है।

बुधादित्य राजयोग

जब सूर्य और बुध किसी एक ही भाव में साथ स्थित होते हैं, तो बुधादित्य राजयोग बनता है। यह योग बुद्धि, समझदारी और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर सरकारी पदों पर पहुंचते हैं या करियर में बड़ी सफलता पाते हैं।

गजकेसरी राजयोग

जब चंद्रमा और बृहस्पति एक साथ किसी भाव में हों, या एक-दूसरे से सप्तम भाव में स्थित हों, तो गजकेसरी योग बनता है। अगर ये दोनों ग्रह केंद्र भाव में और अपनी उच्च या स्वराशि में हों, तो यह योग बहुत प्रभावशाली बन जाता है। इससे व्यक्ति को धन, ज्ञान, शिक्षा में सफलता और समाज में सम्मान प्राप्त होता है।

राज-लक्ष्मी राजयोग

यह योग तब बनता है जब लग्न (पहला भाव) और नवम भाव (भाग्य भाव) के स्वामी ग्रह आपस में शुभ संबंध रखते हैं। अगर ये दोनों ग्रह मित्र हों, एक-दूसरे की दृष्टि में हों या शुभ स्थानों में बैठें, तो व्यक्ति अत्यधिक भाग्यशाली बनता है। ऐसे लोग अपने जीवन में अपार धन, भौतिक सुख और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं।

परिजात योग

जब कुंडली का लग्नेश (पहले भाव का स्वामी) उच्च स्थान में हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट या युक्त हो, तब परिजात योग बनता है। यह योग व्यक्ति को ऊँचे पद, सामाजिक मान-सम्मान और प्रसिद्धि प्रदान करता है। ऐसे लोग अक्सर प्रशासनिक, राजनीतिक या सामाजिक रूप से प्रभावशाली बनते हैं।

लक्ष्मी योग

लक्ष्मी योग तब बनता है जब भाग्य भाव (नवम भाव) का स्वामी पहले, पाँचवें या दसवें भाव में शुभ ग्रहों के साथ स्थित होता है। यह योग व्यक्ति को अपार धन, सुख-सुविधा और समृद्धि प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति का पारिवारिक जीवन भी बहुत सुखद और संतुलित रहता है।

राशि परिवर्तन राजयोग

यह योग तब बनता है जब दो ग्रह एक-दूसरे की राशि में अदला-बदली करते हैं। उदाहरण के लिए अगर बुध मंगल की राशि में हो और मंगल बुध की राशि में, तो यह राजयोग बनता है। इस योग से व्यक्ति को अचानक से बड़ी सफलता, प्रसिद्धि और अवसर प्राप्त हो सकते हैं।

विपरीत राजयोग

यह योग थोड़ा अलग है। यह तब बनता है जब अशुभ भावों (6, 8, 12) के स्वामी ग्रह आपस में संबंध बनाते हैं। ऐसे व्यक्ति का जीवन शुरू में संघर्षपूर्ण रहता है, लेकिन बाद में अचानक बड़ी सफलता और स्थायित्व प्राप्त होता है। इसलिए इसे “विपरीत राजयोग” कहा गया है — यानी विपरीत परिस्थितियों से सफलता तक का सफर।

क्या राजयोग हमेशा फल देता है?

हर कुंडली में बने सभी राजयोग तुरंत अपना फल नहीं देते। ग्रहों की दशा और अंतर्दशा (महा-दशा, अंतर-दशा) जब अनुकूल होती है, तभी योग सक्रिय होता है और अपना असर दिखाता है।
अगर राजयोग पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो, या जिन ग्रहों से योग बन रहा हो वे कमजोर हों, तो उसका प्रभाव कम हो जाता है। इसके अलावा, अगर योग में स्थित ग्रह कुंडली के “कारक ग्रह” न हों, तो भी यह निष्क्रिय रह सकता है। इसलिए अगर आपकी कुंडली में राजयोग बना भी है, तो जरूरी नहीं कि उसका परिणाम तुरंत दिखे। कभी-कभी यह जीवन के उत्तरार्ध में सक्रिय होता है और तब व्यक्ति को असाधारण सफलता मिलती है।