कल का शुक्र प्रदोष व्रत क्यों है महत्वपूर्ण? जानें कौन से शुभ योग बना रहे हैं इसे विशेष

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By Swati BisenPublished On: September 4, 2025
Shukra Pradosh Vrat 2025

भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत इस वर्ष 5 सितंबर 2025, शुक्रवार को पड़ रहा है। चूंकि यह व्रत शुक्रवार को रखा जा रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 5 सितंबर की सुबह 04:08 बजे से आरंभ होकर 6 सितंबर की सुबह 03:12 बजे तक रहेगी। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए यह व्रत 5 सितंबर को रखा जाएगा।


इस दिन बन रहे हैं शुभ संयोग

शुक्र प्रदोष व्रत इस बार कई विशेष योगों के साथ पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इसे ज्योतिष शास्त्र में किसी भी नए कार्य की शुरुआत और पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कर्म निश्चित रूप से सफल होते हैं।
  • अमृत सिद्धि योग: इसके अतिरिक्त अमृत सिद्धि योग भी इस दिन बन रहा है। यह योग कार्यों की सफलता और स्थायी फल की प्राप्ति का सूचक है। कहा जाता है कि यह योग मोक्ष प्राप्ति में भी सहायक होता है।

शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित माना जाता है। इस कारण इस व्रत के दिन शिव जी के साथ-साथ लक्ष्मी जी की पूजा भी विशेष फलदायी मानी जाती है। इन संयोगों की वजह से यह प्रदोष व्रत अत्यंत फलदायी और सौभाग्यवर्धक होगा।

पूजा विधि (Shukra Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूरे दिन फलाहार व्रत रखें और शाम के समय प्रदोष काल में दोबारा स्नान करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें।
  • भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र और आक के फूल अर्पित करें।
  • प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें, शिव चालीसा पढ़ें और अंत में शिव आरती करें।
  • पूजा के पश्चात महादेव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

व्रत का महत्व (Significance of Shukra Pradosh Vrat)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से दुख-दर्द और कष्ट दूर होते हैं। यह व्रत पुत्र सुख, धन-धान्य और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान देता है। विशेषकर शुक्र प्रदोष व्रत करने से जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। जो लोग अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना चाहते हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर महादेव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं और घर-परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।