कब हैं शीतला अष्टमी? इस दिन क्या करें और क्या नहीं, यहां जानें सही नियम, डेट और पूजा टाइम

शीतला अष्टमी 2025 का व्रत 22 मार्च को शुरू होकर 23 मार्च को समाप्त होगा, इस दिन माता शीतला की पूजा और बासी भोजन अर्पित करने का महत्व है। यह व्रत रोग और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

swati
Published:

Sheetala Ashtami 2025 : हिंदू धर्म में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से बीमारी और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इस दिन को शीतला अष्टमी और बसौड़ा भी कहा जाता है। आइए, जानें इस व्रत और पूजा के महत्व के बारे में और जानें कि इस दिन क्या करें और क्या न करें।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करने से जीवन के सभी संकट और रोग दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने माता शीतला को संसार को रोगमुक्त रखने का कार्य सौंपा है। इस दिन व्रत रखने और पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

कब है Sheetala Ashtami?

इस वर्ष शीतला अष्टमी 22 मार्च को प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 23 मार्च को होगा। यह तिथि 22 मार्च को सुबह 4:23 बजे से शुरू होकर 23 मार्च को सुबह 5:23 बजे तक रहेगी। हिंदू धर्म में उदयातिथि को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए 22 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:16 बजे से लेकर 6:26 बजे तक रहेगा।

शीतला अष्टमी के दिन क्या करें?

  1. सुबह स्नान और पवित्रता – इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की सफाई – पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां देवी माता का वास स्थान तैयार करें।
  3. माता की पूजा – माता शीतला की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं और काजल, मेंहदी, वस्त्र अर्पित करें।
  4. भोग अर्पित करें – रात में बने घी के पकवान, चने की दाल और मीठे चावलों का भोग माता को अर्पित करें।
  5. शीतला अष्टमी की कथा – इस दिन शीतला अष्टमी की कथा का पाठ करें और माता की आरती करें।
  6. आटे का दीपक – पूजा के बाद आटे का दीपक जलाकर माता की आरती करें और दीप जलाने के लिए होलिका दहन स्थल पर जाएं।

शीतला अष्टमी के दिन क्या न करें?

  1. चूल्हा न जलाएं – इस दिन घर में चूल्हा न जलाएं, क्योंकि यह दिन बासी भोजन का है।
  2. ताजा भोजन न बनाएं – ताजे भोजन का भोग माता को अर्पित न करें, केवल बासी भोजन ही अर्पित करें।
  3. प्याज, लहसुन, मांसाहार से बचें – इस दिन प्याज, लहसुन, मांसाहार और शराब का सेवन न करें।
  4. गहरे रंग के वस्त्र न पहनें – इस दिन नए और गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
  5. झाड़ू न लगाएं – इस दिन घर में झाड़ू न लगाएं, क्योंकि माता रुष्ठ हो सकती हैं।
  6. सुई-धागा न इस्तेमाल करें – सुई और धागे का उपयोग इस दिन न करें।
  7. पशु-पक्षियों को परेशान न करें – इस दिन किसी भी पशु-पक्षी को परेशान न करें, उनका सम्मान करें।

Disclaimer: यहां दी गई सारी जानकारी केवल के सामान्य सूचना है। इसे अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।