सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक साथ, जानें कब-कहां दिखेगा असर और किन बातों का रखें ध्यान

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By Swati BisenPublished On: September 11, 2025
Surya grahan 2025

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के 16 दिनों का विशेष महत्व होता है, जिनका समापन सर्वपितृ अमावस्या पर होता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। इस बार यह तिथि और भी खास है क्योंकि 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। वैदिक मान्यताओं में सूर्य ग्रहण को जीवन पर गहरा असर डालने वाला माना गया है।


सूर्य ग्रहण का समय और प्रभाव

यह सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 बजे शुरू होकर 3:23 बजे समाप्त होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण है और भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए यहां इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। हालांकि इसका प्रभाव दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों जैसे दक्षिण प्रशांत महासागर, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में पड़ेगा।

सूतक काल और मान्यता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। लेकिन चूंकि यह ग्रहण भारत में दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए यहां इसका सूतक मान्य नहीं है। इसका अर्थ यह है कि भारत में लोग ग्रहण के समय सामान्य गतिविधियां कर सकते हैं। खास बात यह भी है कि ग्रहण के अगले ही दिन से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी।

ग्रहण से पहले के नियम

ग्रहण के दौरान धार्मिक और सामाजिक जीवन में कुछ नियमों का पालन जरूरी बताया गया है.

  • घर के मंदिर के कपाट बंद कर दें।
  • इस अवधि में भोजन ग्रहण न करें।
  • पहले से बने भोजन में तुलसी के पत्ते डाल दें ताकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव न हो।
  • गर्भवती महिलाओं को इस समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए और बाहर निकलने से बचना चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता।

ग्रहण के बाद के नियम

  • सूर्य ग्रहण समाप्त होने पर शुद्धिकरण के नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है।
  • ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें और घर-मंदिर की सफाई करें।
  • पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो।
  • देवताओं की पूजा-अर्चना करें और मंदिर में दान-पुण्य अवश्य करें।

अशुभ प्रभाव दूर करने के उपाय

यदि सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचना चाहते हैं तो ग्रहण समाप्ति के बाद पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करें और उसकी परिक्रमा करें। यह उपाय शुभ फल प्रदान करता है और नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।