Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष का पर्व हिंदू परिवारों के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों को याद करते हुए उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान जैसे पुण्य कर्म करते हैं। लेकिन अक्सर देखा गया है कि लोग भावनाओं में बहकर पितरों की तस्वीर कहीं भी टांग देते हैं चाहे वह ड्राइंग रूम हो, मंदिर का कोना हो, या यहां तक कि रसोईघर।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना ठीक नहीं माना गया है। गलत स्थान पर पितरों की फोटो लगाने से जीवन में परेशानियां और उलझनें बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं पितरों की तस्वीर लगाने के सही नियम और दिशा।
पितरों की फोटो कहां लगाएं
- वास्तु और शास्त्रों के अनुसार, पितरों की फोटो दक्षिण दिशा की दीवार पर ही लगाई जानी चाहिए।
- दक्षिण दिशा को यम दिशा कहा गया है और यह पितरों का स्थान माना गया है।
- इस दिशा में फोटो लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
- पितरों की तस्वीरें ड्राइंग रूम, मंदिर, रसोई या बेडरूम में नहीं लगानी चाहिए।
- इसके लिए घर में एक अलग और शांत कमरा होना चाहिए जहां सिर्फ परिवार के सदस्य आते-जाते हों।
- कमरे को हमेशा साफ-सुथरा रखें और फोटो के पास गंदगी न होने दें।
- स्टोर रूम में पितरों की तस्वीरें रखने से भी बचना चाहिए।
पूजा की सही विधि
- श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की पूजा विशेष तरीके से की जानी चाहिए।
- पितरों की तस्वीर को दीवार से उतारकर कुर्सी या टेबल पर रखें।
- टेबल पर एक साफ कपड़ा बिछाकर तस्वीर को उस पर स्थापित करें।
- तस्वीर पर टीका लगाएं और माला पहनाएं।
- पिताजी, दादाजी, परदादाजी और मां, दादी, परदादी के नाम और गोत्र लेकर तर्पण करें।
- इस दिन तिल और जौ अर्पित करें तथा जलदान करना शुभ माना जाता है।
- हर महीने की अमावस्या को पितरों की तस्वीर के सामने धूप-बत्ती जलाएं।
- गाय को हरा चारा खिलाना पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का श्रेष्ठ उपाय माना जाता है।
तीन पीढ़ियों तक ही तस्वीर लगाएं
- शास्त्रों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि पितरों की तस्वीरें सिर्फ तीन पीढ़ियों तक ही लगानी चाहिए।
- यानी : पिताजी, दादाजी और परदादाजी, या मां, दादी और परदादी की तस्वीरें।
- इससे अधिक पीढ़ियों की तस्वीरें लगाने से घर के वातावरण में असंतुलन आ सकता है।
सच्ची श्रद्धा का महत्व
श्राद्ध और तर्पण का सबसे महत्वपूर्ण नियम है : सच्ची श्रद्धा। यदि पितरों को प्रेम और सम्मान के साथ याद किया जाए तो उनका आशीर्वाद परिवार के लिए सुख-समृद्धि और उन्नति का मार्ग खोलता है। यह भी मान्यता है कि यदि किसी के पितरों का कोई वंशज नहीं है, तो उनके नाम से भी तर्पण और तिलांजलि दी जा सकती है। कहते हैं – “जहां श्रद्धा, वहां शांति।”
Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।