सावन में भंडारा कराने से खुलते हैं भाग्य के द्वार! जानिए कौन-कौन से लाभ मिलते हैं

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By Kumari SakshiPublished On: July 17, 2025
Organizing a feast in the month of Sawan

सावन का महीना सिर्फ बारिश, हरियाली और भगवान शिव की भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुण्य और सेवा का भी सर्वोत्तम समय माना गया है. इस पवित्र माह में भंडारा (सामूहिक भोजन सेवा) करवाना न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है, बल्कि इसके आध्यात्मिक, सामाजिक और कर्मिक लाभ भी होते हैं. आइए जानें कि सावन में भंडारा कराने से कौन-कौन से चमत्कारी फल मिलते हैं जो आपके भाग्य के द्वार खोल सकते हैं.

सावन में भंडारा कराने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं
सावन मास (श्रावण) को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. यह महीना भगवान शिव की उपासना, व्रत, जप-तप और सेवा का महीना होता है. खासतौर पर इस महीने भंडारा (अन्नदान या प्रसाद वितरण) कराना बेहद पुण्यदायक माना गया है.

1. भगवान शिव की विशेष कृपा- सावन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय मास माना गया है. इस दौरान यदि आप भक्तों को भोजन करवाते हैं, तो शिवजी इसे सीधा सेवा भाव मानकर प्रसन्न होते हैं और आपके ऊपर कृपा वर्षा करते हैं.

2. पापों से मुक्ति मिलती है- गरुड़ पुराण और पद्म पुराण में भी उल्लेख है कि भूखों को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य कर्म है. सावन में किया गया भंडारा सैकड़ों जन्मों के पापों का शमन करता है और जीवन को कर्मों के बंधन से मुक्त करता है.

3. परिवार में बढ़ता है सुख और समृद्धि- भंडारे में शामिल लोगों के आशीर्वाद और सेवा से मिलने वाली धनात्मक ऊर्जा पूरे परिवार को घेर लेती है. इससे घर में सुख, शांति और धन का प्रवाह बना रहता है.

4. मन और आत्मा को मिलती है शांति- जब आप नि:स्वार्थ सेवा करते हैं, विशेष रूप से भूखे को भोजन, तो उसका प्रभाव सिर्फ शरीर पर नहीं, आत्मा पर भी पड़ता है. सावन में भंडारा कराने से मन को शांति और आत्मिक आनंद की प्राप्ति होती है.

5. पितृ दोष और ग्रह दोषों से मुक्ति- ज्योतिष अनुसार, भंडारा कराने से पितृदोष का शमन होता है और शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों की पीड़ा भी शांत होती है. सावन का समय इन दोषों को कम करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

6. कांवड़ियों की सेवा- सावन में अगर आप कांवड़ियों को जल, भोजन या आराम की व्यवस्था करते हैं तो यह अनंत पुण्य देने वाला कर्म होता है. शास्त्रों में कहा गया है – “कांवड़ सेवा = शिव सेवा”

7. दान का सबसे श्रेष्ठ रूप- भोजन दान को सभी दानों में ‘अन्नदान’ सर्वोत्तम माना गया है. सावन में भंडारा कराना जीवन के हर क्षेत्र में रुकावटों को दूर करता है और शुभ अवसरों को बढ़ाता है.