Navratri 2021 : हर राज्यों में अलग होती है नवरात्रि की धूम, जश्न में होती है परंपराओं की झलक

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By Ayushi JainPublished On: October 5, 2021
Navratri 2021

नवरात्रि का त्यौहार शुरू होने वाला है ऐसे में हर राज्यों में अलग अलग तरीके से इस त्यौहार को मनाया जाता है। हर राज्य में नवरात्रि की धूम अलग होती है। बता दे, नवरात्रि 7 अक्‍टूबर से शुरू हो रही है जो देश के सबसे बड़े त्‍योहारोंं में से एक है। ऐसे में कहीं माता की चौकी सजाई जाती है तो कहीं विशालकाय भव्‍य पंडालों का आकर्षण होता है। वहीं कहीं दर्शन के लिए मंदिरों में भीड़ उमड़ती है तो कहीं डांडिया नाइट्स का क्रेज देखने को मिलता है। आज हम आपको अलग अलग राज्यों के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं –

पश्चिम बंगाल –

पश्चिम बंगाल में नवरात्रि ‘पूजो’ के रूप में मनाया जाता है जिसका इंतजार लोग सालभर करते हैं। यहां का दुर्गापूजा जग जाहिर है। इन दिनों हर गली-नुक्कड़ पर पंडाल लगाए जाते हैं जो हर साल अलग अलग थीम के तहत बनाई जाती है। यहां की मां दुर्गा की बनाई हुई मूर्तियां दर्शनीय होती हैं। पंडालों में महिसाषुर मर्दनी मां दुर्गा की आराधना की जाती है। देवी के अलावा पंडाल में अन्‍य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां रखी जाती हैं। यहां नवरात्रि के छठे दिन से मुख्‍य पूजा शुरू होता है। यहां महालया, षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी की पूजा का विशेष महत्‍व है।

बिहार-झारखंड –

बिहार और झारखंड में दुर्गा पूजा की परंपरा पर बंगाल की छाप दिखाई देती है। उदाहरण के तौर पर यहां भी महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा को पंडालों में स्‍थापित किया जाता है। यहां भी पंडाल सजाने की परंपरा है। यहां देवी को शक्ति के साथ साथ तंत्र की भी देवी माना जाता है और यही वजह है कि नवरात्र के दौरान बिहार के मंदिरों में बलि की परंपरा आज भी नजर आती है। इन दिनों घरों से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के उपाय भी घर घर में किये जाते हैं। यहां घर घर में कलश स्‍थापित करने की परंपरा भी है।

पंजाब –

पंजाब में नवरात्रि के नौ दिन का महत्‍व है। इन नौ दिनों में सिंहवाहिनी मां दुर्गा का कीर्तन और रात में जगराता किया जाता है। यहां शुरूआती 7 दिनों में व्रत रखने की परंपरा है जबकि अष्टमी-नौवी को नौ कन्याओं का पूजन और उन्‍हें भोग लगाने की परंपरा है। इन्‍हें ‘कंजीका’ नाम से जाना जाता है।

गुजरात –

गुजरात में नवरात्रि काफी अलग तरीके से मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के मटके स्थापित किए जाते हैं जिसमें सुपारी, नारियल और चांदी का सिक्का रखा जाता है। मटके पर दीप जलाया जाता है और हर रात आस-पास के लोग यहां जुटते हैं और दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस मौके पर रातभर गरबां-डांडिया डांस भी किया जाता है।

महाराष्ट्र –

महाराष्ट्र में भी नवरात्र अलग तरीके से मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों में अखंड ज्‍योति जलाते हैं और लगातार नौ दिन तक जलकर रखते हैं। दशहरा के दिन घर के पुरुष अपनी गाडि़यों, औजार, टूल्स आदि की पूजा करते हैं. इसे ‘अयुद्ध पूजा’ कहा जाता है।

उत्‍तर भारत के राज्‍य –

उत्तर भारत के राज्‍यों में नवरात्रि में राम लीला की पुरानी परंपरा है। यहां मंच तैयार किया जाता है और कलाकार राम और रावण की कहानी अभिनय के माध्‍यम से करते हैं। इन मंचों पर कई बड़े बड़े कलाकार, नेता और वीआइपी लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है। दशहरा के दिन रावणवध काफी प्रचलित परंपरा है. दशहरा के लिए खास मेला भी लगाया जाता है।

दक्षिण भारत के राज्‍य –

तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश इन तीनों राज्यों में नवरात्रि मनाने का तरीका लगभग एक जैसा ही है। इन राज्यों में नवरात्रि के समय छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती हैं। ये मूर्तियां सिर्फ भगवानों की नहीं बल्कि मिट्टी के दूल्हा-दुल्हन, घोड़ा, गाड़ी, घर आदि की भी होती हैं। इन्हें रखने के लिए एक खास सीढ़ीनुमा स्टेज बनाया जाता है। इन मूतियों को इस पर विषम संख्या में सजाया जाता है। इन राज्यों में इस त्योहार को गोलू, बोम्मा गोलू, बोम्बे हब्बा कहा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन गणपति, सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी की पूजा की जाती हैऔर नवमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है।