क्या हैं नंदी मुद्रा? जिसमे महिलाएं करती हैं शिवलिंग की विशेष आराधना

नंदी मुद्रा, भगवान शिव के प्रति श्रद्धा, समर्पण और प्रार्थना की एक विशेष मुद्रा है, जिसे महिलाएं विशेष रूप से सावन में वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति और पारिवारिक शांति के लिए अपनाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नंदी भगवान शिव तक भक्तों की मनोकामनाएं पहुंचाने का माध्यम माने जाते हैं।

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भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में पूजा-पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा को साधने का एक माध्यम भी माना जाता है। हर देवी-देवता की पूजा की अपनी विशिष्ट विधि और भाव-भंगिमाएं होती हैं, जिनके पीछे गहरे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। इन्हीं में से एक विशेष मुद्रा है नंदी मुद्रा, जिसे विशेष रूप से महिलाएं शिव मंदिरों में अपनाती हैं।

क्या होती है नंदी मुद्रा?

नंदी मुद्रा में श्रद्धालु शिवलिंग के सामने उसी मुद्रा में बैठते हैं जैसे नंदी बैल भगवान शिव के वाहन बैठते हैं। इसमें व्यक्ति अपने घुटनों के बल बैठकर, हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर पूर्ण समर्पण की स्थिति में आ जाता है। यह स्थिति केवल शरीर की नहीं, बल्कि आत्मा की भी होती है, जहां श्रद्धा और भक्ति का गहरा भाव प्रकट होता है।

धार्मिक मान्यता और आध्यात्मिक संकेत

धार्मिक ग्रंथों और लोककथाओं में नंदी को केवल शिव का वाहन नहीं, बल्कि उनके निकटतम सेवक और भक्त बताया गया है। मान्यता है कि नंदी के कान में कही गई प्रार्थना भगवान शिव तक अवश्य पहुंचती है। इसलिए, नंदी को भगवान और भक्त के बीच एक माध्यम या सेतु माना जाता है, जो श्रद्धालु की भावना को सीधे शिव तक पहुंचाने की क्षमता रखता है।

महिलाएं क्यों करती हैं नंदी मुद्रा में प्रार्थना?

विशेष अवसरों पर, विशेषकर सावन मास के सोमवार को महिलाएं नंदी मुद्रा अपनाकर भगवान शिव से वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति और पारिवारिक समृद्धि की कामना करती हैं। यह मुद्रा उन्हें न केवल आध्यात्मिक रूप से जोड़ती है, बल्कि मानसिक शांति और आस्था का भी अनुभव कराती है।

समर्पण, सेवा और भक्ति का प्रतीक

नंदी मुद्रा अपनाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भक्त की विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है। जब कोई श्रद्धालु इस मुद्रा में बैठता है, तो वह नंदी की भांति अपने ईश्वर के सामने स्वयं को अर्पित कर देता है। यह स्थिति अहंकार का त्याग और भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाती है।

पति की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए

भारतीय परंपरा में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए विशेष व्रत और अनुष्ठान करती हैं। नंदी मुद्रा में प्रार्थना करना, विशेष रूप से शिवरात्रि या सावन के सोमवार को, इस भावना का गहरा प्रतीक बन चुका है।

मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक

श्रद्धालुओं का विश्वास है कि नंदी के माध्यम से कही गई प्रार्थना शीघ्र ही भगवान शिव तक पहुंचती है। इसलिए, महिलाएं अपनी मनोकामनाओं जैसे संतान प्राप्ति, जीवन में संतुलन, और वैवाहिक सुख के लिए इस मुद्रा का विशेष रूप से पालन करती हैं।

ग्रंथों में नंदी का महत्व

शिवपुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में नंदी को भगवान शिव के अनन्य भक्त के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। नंदी सदैव शिवलिंग के सामने स्थित रहते हैं, जिससे उन्हें ‘शिवद्वारपाल’ की उपाधि मिली है। ऐसा कहा गया है कि जो भक्त नंदी के समक्ष बैठकर शिव का ध्यान करता है, उसकी प्रार्थना शीघ्र ही फलित होती है।

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