Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। माघ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन स्नान-दान करना बहुत ही शुभ माना गया है, जिससे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है और भगवान सूर्य का पूजन होता है।
मौन व्रत और उसकी महत्ता
मौनी अमावस्या पर चंद्रमा दिखाई नहीं देता, इसलिए ज्योतिष शास्त्र में इस दिन मौन व्रत रखने का महत्व बताया गया है। मौन व्रत से मन की शांति बनी रहती है।
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इस वर्ष अमावस्या की तिथि 28 जनवरी को शाम 7:35 बजे शुरू होकर 29 जनवरी को शाम 6:05 बजे समाप्त होगी। अतः मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी और इस दिन महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान भी किया जाएगा।
सूर्य को अर्घ्य देने की विधि
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मौनी अमावस्या पर सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें, और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें कुमकुम, चंदन, और फूल डालें। ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें और अर्घ्य देने के बाद भगवान सूर्य को प्रणाम करें।
सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
सूर्य देव को अर्घ्य देने से स्वास्थ्य लाभ होता है, आध्यात्मिक विकास होता है और जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।