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इस दिन रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, इस खास विधि से करें भगवान विष्णु की विशेष पूजा, पितरों को मिलेगी मुक्ति

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By Suruchi ChircteyPublished On: December 7, 2023

Mokshada Ekadashi: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्‍ण का प्रिय महीना मार्गशीर्ष शुरू हो गया है। दिसम्बर के महीने में कई ऐसे व्रत-त्‍योहार आते हैं, जिनका हिंदू धर्म में सबसे बड़ा महत्‍व माना जाता है। इसमें मार्गशीर्ष महीने के एकादशी व्रत भी शामिल हैं। जिन्‍हें उत्‍पन्‍ना एकादशी और मोक्षदा एकादशी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मार्गशीर्ष महीने में सत्‍यनारायण की पूजा करने से बहुत पुण्‍य मिलता है। इसके साथ ही ये दोनों एकादशी व्रत करने से भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा भी मिलती है। मोक्षदा एकादशी व्रत करने से जीवन के सारे सुख मिलते हैं और दुःख दूर हो जाते है। इस व्रत से उसके सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं। इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मोक्षदा एकादशी का व्रत रखना और विधि-विधान से पूजा करना और अंत में व्रत की कथा पड़ना बहुत लाभदायक होता है।

इस दिन है मोक्षदा एकादशी

इस दिन रखा जाएगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, इस खास विधि से करें भगवान विष्णु की विशेष पूजा, पितरों को मिलेगी मुक्ति

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर की सुबह 8 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और 23 दिसंबर की सुबह 7 बजे समाप्‍त होगी। उदया तिथि के अनुसार ये 22 दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी और व्रत रखा जाएगा।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार वैखानस नाम के राजा ने सपने में देखा कि उनके पूर्वज नरक में बहुत ही यातना झेल रहे हैं. सुबह उठते ही उन्होंने अपने दरबार में पुरोहितों को बुलाया और इस सपने का अर्थ पूछा, तब राजपुरोहितों ने राजा को इस समस्या के समाधान के लिए ऋषि पर्वत मुनि के पास जाने की सलाह दी, इसके बाद जब राजा ऋषि पर्वत मुनि के पास गए और उनसे इसका अर्थ, उपाय पूछा तो ऋषि ने कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कीं.

इसके बाद ऋषि ने बताया कि उनके पूर्वजों ने जो पाप किए गए हैं, उसके परिणाम स्वरुप उन्‍हें नर्क में दुःख झेलना पड़ रहा है। राजा ने ऋषि से अपने पितरों को यातनाओं से मक्ति दिलाने का उपाय पूछा, तब ऋषि के कहा कि वो पूरे भक्ति-भाव से मोक्षदा एकादशी का व्रत करेंगे तो उनके पूर्वजों को जरूर मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसके बाद राजा ने अपनी पत्नी, बच्चों और रिश्तेदारों के साथ बड़ी श्रद्धा के साथ ये व्रत किया और इससे भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उनके पूर्वजों को मुक्ति प्रदान की।