सुहागनें क्यों पहनती है चांदी की पायल, क्या आप जानते हैं इसके पीछे के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण?

भारतीय संस्कृति में चांदी की पायल सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि सौभाग्य, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसे पहनने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है, ग्रहों का संतुलन सुधरता है और स्वास्थ्य लाभ जैसे ब्लड सर्कुलेशन, हार्मोनल संतुलन व रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

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भारतीय परंपरा में हर आभूषण का अपना एक गहरा अर्थ और महत्व होता है, खासकर महिलाओं के लिए। इन्हीं में से एक विशेष आभूषण है चांदी की पायल, जिसे विवाहित महिलाएं सदियों से पहनती आ रही हैं।

यह सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपे हैं धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक रहस्य। चांदी की पायल पहनने की यह परंपरा महिलाओं के सौभाग्य और स्वास्थ्य से जुड़ी एक समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा है।

चांदी को माना जाता हैं शीतलता, पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक

हिंदू धर्म में चांदी को शीतलता, पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। जबकि सोना धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक है, इसलिए उसे पैरों में पहनना अपमानजनक समझा जाता है। इसके विपरीत, चांदी की पायल पहनना शुभ और स्वीकार्य माना गया है। यह विवाहित महिला के सौभाग्य, समर्पण और सुहाग का प्रतीक होती है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

चांदी का ग्रहों से संबंध

चांदी का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से होता है। चंद्रमा मानसिक शांति और भावनाओं का कारक है, जबकि शुक्र प्रेम, सौंदर्य और वैवाहिक सुख से जुड़ा होता है। चांदी की पायल पहनने से इन ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सुख की वृद्धि होती है।

पायल की मधुर ध्वनि और सकारात्मक ऊर्जा

पायल की झंकार सिर्फ एक साज नहीं है, बल्कि वह वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इसकी मधुर ध्वनि नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और घर के वातावरण को पवित्र बनाए रखती है। यह ध्वनि मन को शांत करती है और तनाव से राहत देती है।

विज्ञान भी करता है पायल के लाभों की पुष्टि

आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि चांदी की पायल पहनना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यह न केवल ऊर्जा का संरक्षण करती है, बल्कि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाती है।

  • ऊर्जा संरक्षण: ऐसा माना जाता है कि शरीर से निकलने वाली ऊर्जा पैरों के माध्यम से बाहर चली जाती है। चांदी की पायल पहनने से यह ऊर्जा शरीर में ही संचित रहती है।
  • एक्यूप्रेशर का असर: पायल पहनने से पैरों के कुछ खास बिंदुओं पर लगातार दबाव पड़ता है, जिससे दर्द और सूजन जैसी समस्याएं कम होती हैं।
  • हार्मोनल संतुलन: शोध बताते हैं कि यह महिलाओं में हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।
  • प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि: चांदी में प्राकृतिक रूप से एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं।
  • शरीर का तापमान नियंत्रित करना: चांदी की ठंडक शरीर के तापमान को संतुलित रखती है, जिससे गर्मी और थकान में राहत मिलती है।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।